फेलोशिप में 24 फीसदी बढ़ोतरी कितनी काफी?


24 percent rise in fellowship allowance whereas govt increased the fellowship fees by 276 percent

 

केंद्रीय विज्ञान मंत्रालय ने पीएचडी स्कॉलर को दी जाने वाली फेलोशिप राशि में 24 फीसदी बढ़ोतरी की है. मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पीएसडी स्कॉलर के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाएगा और समय-समय पर इसमें बढ़ोतरी की होगी.

मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, “रिसर्चर और शिक्षाविदों को दिए जाने वाले भुगतान में बढ़ोतरी इस बात का सबूत है कि मोदी सरकार देश में नए प्रयोगों और रिसर्च के पक्ष में रही है.” उन्होंने कहा कि ये स्कॉलर के लिए एक बढ़ी सौगात है.

हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि तस्वीर इतनी अच्छी नहीं है, जितनी सरकार की ओर से पेश की जा रही है.

द टेलीग्राफ में छपी खबर के मुताबिक, मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि शुरुआती दो साल में पीएचडी स्कॉलर को 31,000 रुपये मासिक दिए जाएगें. यह पहले 25,000 रु. था. वहीं दो वर्षों बाद रिसर्च के लिए आगे के वर्षों में स्कॉलर को 35,000 रु. मासिक कर दिए गए हैं. यह पहले 28 हजार रु. था.

मंत्रालय की ओर से रिसर्च एसोसिएट या पोस्ट डॉक्टरल स्कॉलर की सैलरी में 30 से 35 प्रतिशत की वृद्धि की गई है.

मंत्रालय ने कहा कि इससे करीब देशभर के संस्थानों में 60 हजार से ज्यादा भौतिक, रासायनिक और जैविक विज्ञान, इंजीनियरिंग, गणित, कृषि विज्ञान और दवा विज्ञान के पीएचडी स्कॉलर लाभांवित होंगे.

वहीं, वित्त मंत्रालय ने स्कॉलर को किए जाने वाले भुगतान में सालाना चार फीसदी की बढ़ोतरी करने से इनकार कर दिया है.

पीएचडी स्कॉलर और देश में शिक्षित वर्ग को खुश करने के उद्देश्य से की गई इस घोषणा से यूं तो स्कॉलर को खुश होना चाहिए. पर सरकार के इन दावों की पोल इस बात से खुलती है कि बीते चार साल में सरकार ने स्कॉलर से ली जाने वाली ट्यूशन फीस में 276 फीसदी की बढ़ोतरी की है.

भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) में वैज्ञानिक सचिन पाण्डे ने बताया, “अगर आप बीते वर्षों में ट्यूशन फीस और स्कॉलर को किए जाने वाले भुगतान के आंकड़ों पर नजर डालेंगे तो आप काफी कुछ समझ पाएंगे”.

उन्होंने कहा, “साल 2014 में स्कॉलर से हर सेमेस्टर में 4840 रु. ट्यूशन फीस ली जाती थी. जो साल 2018 में बढ़कर 18,200 रु. हो गई है. यानी की फीस में कुल 276 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है”.

ऐसे में शोधकर्ताओं का सरकार से सवाल है कि बीचे चार साल में फीस में 276 फीसदी की बढ़ोतरी की गई, तो ऐसे में फेलोशिप की राशि में की गई 24 फीसदी की बढ़ोतरी कितनी काफी है.


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