तमिलनाडु: जल्लीकट्टू के दौरान 45 लोग घायल


45 people injured during jallikattu

 

तमाम सामाजिक संगठनों और न्यायपालिका के हस्तक्षेप के बावजूद सांडों पर काबू पाने के खेल जल्लीकट्टू पर रोक नहीं लग सकी. इस आत्मघाती खेल के दौरान अक्सर लोगों के घायल होने की खबरें आती रही हैं. ताजा खबरों के मुताबिक बीते रविवार को जल्लीकट्टू के दौरान करीब 45 लोग घायल हो गए.

इस कार्यक्रम का उद्घाटन तमिलनाडु के राज्य के पशुपालन मंत्री उदुमलई राधाकृष्णम ने किया था. इस दौरान 500 सांडों के साथ 550 लोगों ने इस खेल में हिस्सा लिया.

कोयंबटूर पुलिस के मुताबिक सांडों पर काबू करने की कोशिश में लोगों को काफी चोटें आई हैं. बताया जा रहा है कि इनमें से 38 लोगों को मामूली चोटें आई हैं, जबकि बाकी लोगों को गंभीर चोटें पहुंची हैं.

घायलों में से कुछ को कोयंबटूर के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. जबकि कुछ को तिरुपुर के एक सरकारी अस्पताल ले जा गया है.

घायल हुए लोगों में सांड पर काबू पाने वाले 29 खिलाड़ी, 10 दर्शक और सांडों के दो मालिक भी शामिल हैं.

जल्लीकट्टू तमिलनाडु का एक पारंपरिक खेल है. इसका आयोजन पोंगल त्योहार के दौरान किया जाता है. हिंसक होने के चलते अक्सर इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की जाती रही है.

इससे पहले साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा थी. लेकिन अदालत की इस रोक का तमिलनाडु में व्यापक विरोध हुआ. इसके बाद तमिलनाडु और महाराष्ट्र सरकारों ने पशु क्रूरता अधिनियम 1960 में संशोधन करके इसे मान्यता दे दी थी.

तमिलनाडु सरकार ने जल्लीकट्टू को वैध बनाने के लिए अलग से एक कानून बना रखा है. इस कानून के तहत इस खेल में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों और आयोजकों की वीडियोग्राफी की जाती है.


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