घाटी में मारे गए आतंकियों में 75 फीसदी स्थानीय


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कश्मीर में इस साल सैन्य कार्रवाई में मारे गए 75 फीसदी आतंकी स्थानीय नागरिक थे. पुलिस रिकॉर्ड के आधार पर द हिंदू ने अपनी खबर में लिखा है कि इस साल अब तक मारे गए 101 आतंकियों में से 76 स्थानीय नागरिक थे.

पिछले दो दशकों में ये पहली बार है जब मारे गए स्थानीय आतंकियों की संख्या विदेशी आतंकियों की तुलना में इतनी ज्यादा है.

बीते साल पुलिस मुठभेड़ में 246 आतंकी मारे गए थे. इसमें 150 यानी 60 फीसदी आतंकी स्थानीय थे. हाल में जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक गृह मंत्री अमित शाह से मिलने दिल्ली आए थे. यहां उन्होंने कहा, “आतंकियों में तनाव और निराशा है. याद करें कि साल 2016 में बुरहान वानी की मौत के बाद लगभग तीन महीने तक घाटी में तनाव बना हुआ था. लेकिन अभी हाल ही में मारे गए जाकिर राशिद भट्ट उर्फ मूसा के एंकाउटर के बाद स्थितियां संभाल ली गईं.”

8 जून, 2016 में हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद सैंकड़ों की संख्या में स्थानीय युवा आतंकी समूहों से जुड़े. घाटी में युवओं के आइकन बन चुके बुरहान की मौत के बाद घाटी में आतंकी घटनाएं बढ़ी हैं.

बीते महीने मूसा के एनकाउंटर के बाद दक्षिण कश्मीर समेत दूसरे हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया गया था. मूसा पुलवामा और आस-पास के हिस्सों में सक्रिय था. बुरहान की मौत के बाद मूसा घाटी में एक ‘मिनी आइकन’ बन गया था.

पुलिस ने दावा किया है कि इस साल आतंकी समूहों में शामिल होने वाले लोगों की संख्या में काफी कमी आई है. एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल 25 मई तक 33 स्थानीय नागरिक आतंकी समूहों में शामिल हुए. जबकि 2018 में 200 नागरिक आतंकी समूहों से जुड़े थे.


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