खाद्य सुरक्षा से जुड़े आपराधिक मामलों में 86 फीसदी की वृद्धि
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा इस दौरान दर्ज दीवानी मामले 36 प्रतिशत बढ़कर 2,813 और आपराधिक मामले 86 प्रतिशत बढ़कर 18,550 हो गए.
एफएसएसएआई ने कहा कि खराब प्रदर्शन करने वाले कई राज्य, खाद्य सुरक्षा के लिए पूर्णकालिक अधिकारी तैनात नहीं कर पाए हैं और लगभग एक दशक पहले खाद्य सुरक्षा कानून के लागू होने के बावजूद वहां उपयुक्त खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाएं नहीं हैं.
पिछले वित्त वर्ष में 1.06 लाख से अधिक खाद्य नमूनों के विश्लेषण में से 3.7 प्रतिशत नमूनों को असुरक्षित तथा 15.8 प्रतिशत मानकों पर कमतर पाया गया.
खाद्य नियामक एफएसएसएआई की ओर से जारी बयान में कहा गया कि इस दौरान 9 प्रतिशत नमूनों में लेबल या ठप्पे संबधी कमियां पायी गयीं.
नियामक ने बताया कि जुर्माना लगाने के मामलों की संख्या 67 प्रतिशत बढ़कर 12,727 हुई है. वर्ष 2018-19 के दौरान कुल 32.58 करोड़ रुपये का जुर्मान लगाया गया जो इससे पिछले वर्ष की तुलना में 23 प्रतिशत अधिक है.
आपराधिक प्रकृति के 701 मामलों में संबंधित व्यक्तियों/इकाइयों को दोषी करार दिए गए हैं.
एफएसएसएआई के सीईओ पवन अग्रवाल ने कहा, ”राज्य सरकारों की ओर से खाद्य उत्पादों के प्रति लोगों का विश्वास मजबूत करने के लिए नियमों को और अधिक कठोरता से लागू करने की आवश्यक है.”
उन्होंने स्वीकार किया कि हाल के दिनों में देश में बड़े पैमाने पर ‘फर्जी खबरों’ के कारण मिलावट की व्यापक धारणा पैदा करने की वजह से सार्वजनिक विश्वास का क्षरण हुआ है.