अमेरिका: फर्जी विश्वविद्यालय में दाखिला देने के बाद 90 भारतीय छात्रों पर आरोप


Kashmir: Security forces detain Greater Kashmir journalist

 

फर्जी विश्वविद्यालय में पढ़ने के आरोप में 90 और छात्रों को पकड़ा गया है. इनमें अधिकांश भारतीय हैं. अमेरिकी आव्रजन एवं सीमाशुल्क प्रवर्तन एजेंसी (आसीई) ने अब तक 250 से अधिक छात्रों को इन मामलों में पकड़ा है. इन छात्रों को गृह मंत्रालय ने डेट्रॉइट मेट्रोपोलिटन क्षेत्र में स्थित फार्मिंगटन विश्वविद्यालय में प्रवेश का लालच दिया गया था. ऐसा आव्रजन नियमों को तोड़ने की कथित मंशा से दाखिल विदेशियों को पकड़ने के लिए सरकार की ओर से किया गया था.

आईसीई द्वारा स्थापित यह विश्वविद्यालय अब बंद हो चुका है.

आईसीई ने मार्च में इस फर्जी विश्वविद्यालय से 161 छात्रों को पकड़ा था. मार्च में जब यह विश्वविद्यालय बंद हुआ तब इसमें 600 छात्र थे जिनमें से अधिकांश भारतीय थे.

आईसीई के प्रवक्ता ने बताया कि अब तक गिरफ्तार किए गए 250 छात्रों में से लगभग 80 फीसदी छात्रों को अमेरिका से लौटने की अनुमति दे दी गई है.

बाकी के 20 फीसदी छात्रों में से लगभग आधे छात्रों को लौटने का अंतिम आदेश मिल चुका है.

संघीय अभियोजकों ने दावा किया कि छात्रों को यह पता था कि यह विश्वविद्यालय फर्जी है क्योंकि यहां कोई कक्षाएं ही नहीं होती थी.

डेमोक्रेटिक पार्टी की सीनेटर एलिजाबेथ वारेन ने इसे क्रूरता भरा कदम बताया है.

उन्होंने ट्वीट किया, ”यह बहुत ही क्रूरता भरा है. इन छात्रों ने अमेरिका में उच्च गुणवत्ता की उच्च शिक्षा पाने का सपना ही तो देखा था. आईसीई ने उन्हें झांसा दिया और जाल में फंसाया सिर्फ इसलिए कि उन्हें वापस भेजा जा सके.”

आईसीई ने भर्ती करवाने वाले आठ लोगों के खिलाफ आपराधिक आरोप पत्र दायर किया है. उनमें से सात ने दोष स्वीकार कर लिया है.

विश्वविद्यालय में पंजीयन करवाने वाले छात्र भारत स्थित अमेरिकी दूतावास की ओर से जारी वैध वीजा पर कानूनी तरीके से अमेरिका आए थे. इनमें बड़ी संख्या में भारतीय हैं.

फर्जी विश्वविद्यालय ने छात्रों से स्नातक कार्यक्रम के लिए प्रत्येक तिमाही के लिए 2,500 डॉलर की फीस ली थी.


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