जीईएम के बजाय बाहर से हुई 91,000 करोड़ रुपये की खरीदारी


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सरकारी ई-मार्केटप्लेस पर वस्तु और सेवा उपलब्ध होने के बावजूद  91,000 करोड़ रुपये की सरकारी खरीदारी बाहर से हुई है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वित्त मंत्रालय सरकार और पीएसयू की ओर से जीईएम के इतर 91,000 करोड़ रुपये के सामान और सेवाओं की खरीद को देख रहा है.

बिजनेस स्टैंडर्ड में छपी खबर के मुताबिक इनमें केवल 60,000 करोड़ रुपये की खरीदारी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों(पीएसयू) के द्वारा हुई हैं.

महारत्न और नवरत्न पीएसयू प्रमुखों की बैठक के बाद सीतारमण ने कहा कि देश के शीर्ष 32 पीएसयू वित्त वर्ष 2019-20 में पूंजीगत व्यय के मद में 1.53 लाख करोड़ रुपये खर्च करेंगे.

सीतारमण ने इस खरीद को झटका देने वाला बताते हुए कहा कि 60,000 करोड़ रुपये की खरीदारी जीईएम के इतर की गई है जबकि ये सभी वस्तु और सेवाएं यहां पर उपलब्ध हैं.

उन्होंने कहा कि इसका कुछ कारण होना चाहिए. मैंने उनसे इसकी वजह पूछी है.

जीईएम विभिन्न सरकारी विभागों, संगठनों या सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा वस्तुओं और सेवाओं की ऑनलाइन खरीद की सुविधा के लिए वन-स्टॉप पोर्टल है. जीईएम का लक्ष्य सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता, दक्षता और गति को बढ़ाना है. यहां पर ई-बिडिंग, रिवर्स ई-ऑक्शन और डिमांड एकत्रीकरण की सुविधा मिलती है. वित्त नियम 2017 में संशोधन के बाद सरकार के अधिकारियों के लिए जीईएम के माध्यम से खरीद करना अनिवार्य बना दिया गया है.

वित्त सचिव राजीव कुमार ने कहा कि 34 केंद्रीय उपक्रम पहले ही अगस्त तक 48,077 करोड़ रुपये खर्च कर चुके हैं. केंद्रीय उपक्रम दिसंबर 2019 तक 50,159 करोड़ रुपये और चौथी तिमाही में 54,700 करोड़ रुपये खर्च करेंगे.

व्यय सचिव गिरीश चंद्र मुर्मू ने कहा कि सभी 242 केंद्रीय उपक्रमों का पूंजीगत खर्च चार लाख करोड़ रुपये से अधिक होगा.

मुर्मू ने बकाया भुगतान के बारे में कहा कि कुल 60 हजार करोड़ रुपये में से 55 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि इस बात को लेकर सारे प्रयास किये जा रहे हैं कि निवेश पटरी पर रहे तथा तरलता का संकट नहीं हो.

भारत में सरकारी एजेंसियां कुल सकल घरेलू उत्पाद के 20 से 22 प्रतिशत तक खरीद करती है. भारत का सकल घरेलू उत्पाद 2,700 अरब डॉलर का है. इस तरह सरकारी खरीद वार्षिक 500 अरब डॉलर से अधिक बनती है. सरकारी खरीद में केंद्रीय लोक उपक्रमों का बड़ा योगदान होता है.

केंद्र सरकार ने अपने सभी उपक्रमों को 15 अक्टूबर तक ठेकेदारों और आपूर्तिकताओं का सारा बकाया निपटाने का निर्देश दिया है.

वित्त मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक कंपनियों को 15 अक्टूबर तक एक पोर्टल बनाने के लिये कहा गया है जहां सेवा प्रदाता, आपूर्तिकर्ता और ठेकेदार अपने बिलों तथा भुगतान की स्थिति को देख सकेंगे. इसके साथ ही सार्वजनिक उपक्रमों को आपूर्तिकर्ताओं व ठेकेदारों के साथ ऐसे कानूनी विवादों की समयावधि की जानकारी भी पोर्टल पर मुहैया कराने के लिये कहा गया है जिनके कारण भुगतान रुका है.

सीतारमण ने 27 सितंबर को कहा कि विभिन्न मंत्रालयों ने 60,000 करोड़ रुपये के बकाये में से 40,000 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है जिसमें अधिकांश सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) द्वारा आपूर्ति किए गए माल एवं सेवाओं पर किया गया. शेष राशि का भुगतान अगले महीने के पहले सप्ताह तक चुका दिया जायेगा.


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