ऑटो उद्योग की चेतावनी, 10 लाख नौकरियों पर है खतरा
भारत में वाहन निर्माता कंपनियों ने सरकार को चेताया है कि ऑटोमोबाइल क्षेत्र में सुस्ती के कारण 10 लाख से अधिक नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है. कंपनियों ने सरकार से बिना देरी किए वाहनों पर जीएसटी कम करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि अब और अधिक देरी क्षेत्र में नौकरियों के लिए एक बड़ा खतरा बन सकती है.
वाहन विनिर्माताओं के संगठन सियाम के सालाना सम्मेलन के दौरान संगठन के अध्यक्ष राजन वढेरा ने कहा, “मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में 15,000 संविदा कर्मचारी अब तक अपनी नौकरी गवां चुके हैं और अब अगर सुस्ती से नहीं निपटा गया तो दस लाख से ज्यादा कर्माचारियों की नौकरी खतरे में पड़ सकती है.”
बीते एक साल से सुस्ती की मार झेल रहे ऑटो उद्योग के द्वारा बिक्री बढ़ाने की सभी कोशिशें नाकाम रही हैं. वाहनों की खरीदारी के लिए वित्तीय सहायता की कमी, स्वामित्व पर बढ़ते खर्चे, कृषि क्षेत्र में संकट और सुस्ती की ओर बढ़ती अर्थव्यवस्था के चलते जुलाई में वाहनों की बिक्री अपने दो दशकों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई.
ऐसे में उद्योग के लोगों का कहना है कि उपभोक्ता विश्वास में कमी आई है और लोग फिलहाल टैक्स में कटौती की आस में खरीदारी करने से बच रहे हैं.
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सम्मेलन में ऑटोमोबाइल क्षेत्र के प्रबंधनकर्ताओं को आश्वसत किया कि सरकार हाइब्रिड वाहनों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए टैक्स में कटौती पर विचार करेगी.
पेट्रोल, डीजल पर चलने वाली गाड़ियों की जगह इलेक्ट्रिक वाहनों पर सरकार की मेहरबानी से उद्योगों के बीच ये छवि बनी है कि सरकार परम्परागत ईंधनों पर चलने वाली गाड़ियों पर प्रतिबंध की घोषणा कर सकती है.
उन्होंने पेट्रोल और डीजल वाहनों पर प्रतिबंध के कयास को नकारते हुए कहा, “ऐसी बातें चल रही हैं कि सरकार पेट्रोल और डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगा देगी. मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं है. हम ऐसा कुछ नहीं करने जा रहे हैं.”
गडकरी ने कहा, “मैं यह बात वित्त मंत्री के समक्ष रखूंगा. बिक्री बढ़ाने के लिए वाहन क्षेत्र को मदद की जरूरत है.”
गडकरी ने कहा कि जैसे इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत किया गया, वित्त मंत्री को हाइब्रिड वाहनों पर भी यह लाभ देने का सुझाव दिया जाएगा.
महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर पवन गोयनका ने कहा, “2008 और 2013 में सुस्ती के हालातों में उत्पाद शुल्क घटाने के तुरंत बाद ही मांग में बढ़ोतरी देखने को मिली थी. इस बार भी अगर ऐसा होता है तो दोपहिया, तीन पहिया और चार पहिया वाहनों की बिक्री में सीधा असर देखने का मिलेगा. इस बार सुस्ती गलत समय में आई है, हम भारत VI उत्सर्जन मानकों पर सिफ्ट होने वाले हैं. ऐसे में सिफ्ट से पहले अगर हालात ठीक नहीं हुए तो उद्योग भारी मुश्किल में आ सकता है.”
गोयनका ने कहा, “चालू वित्त वर्ष के अगले महीनों में अगर वाहन उद्योग में विकास दर नहीं बढ़ी तो काफी नौकरियां जाने की संभावनाएं हैं.”
ऑटो उद्योग में सुस्ती सरकार के लिए बड़ी चिंता का विषय है क्योंकि ये क्षेत्र बड़ी संख्या में लोगों को नौकरी मुहैया कराता है. साथ ही सरकारी राजस्व का एक बड़ा हिस्सा इस क्षेत्र से आता है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को कहा कि जीएसटी कौंसिल की बैठक में सरकार ऑटोमोबाइल क्षेत्र पर जीएसटी में कटौती का मुद्दा उठाएगी.
इस क्षेत्र पर फिलहाल सेस के अलावा सबसे अधिक 28 फीसदी जीएसटी वसूला जाता है.
गडकरी के आश्वासन के तहत अगर हाइब्रिड वाहनों पर टैक्स कम होता है तो ये मारुति सुजुकी, टोयोटा, होंडा जैसे जापानी वाहन निर्माताओं के लिए अच्छी खबर होगी. इलेक्ट्रिक वाहनों पर पूरी तरह शिफ्ट होने से पहले कंपनी टेक्नॉलजी आदि में अच्छा-खासा निवेश कर रही है.
इससे पहले सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने 21 जून को ऑटोमोबाइल क्षेत्र से 2025 तक आन्तरिक दहन इंजन वाले 150 सीसी के दोपहिया वाहनों को हटाने और इलेक्ट्रिक वाहनों पर शिफ्त के लिए प्लान की मांग की. ऐसी ही मांग 2023 तक तीन पहिया वाहन निर्माताओं से भी की गई है.
हालांकि कुछ साल पहले तक इलेक्ट्रिक वाहनों पर शिफ्ट के संकेत देने वाले केंद्रीय मंत्री गडकरी के रवैये में फिलहाल नरमी आई है.
टाटा मोटर्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक गुंटेर बुश्चेक के मुताबिक भारत के वाहन उद्योग के विकास की कहानी जल्द ‘ढह’ सकती है.
बुश्चेक ने कहा कि उपभोक्ता धारणा कमजोर होने और नकदी की कमी की वजह से वाहन उद्योग की बिक्री में जोरदार गिरावट आ रही है.
हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार द्वारा हालिया घोषित उपायों से वाहन उद्योग सतर्कता से मौजूदा स्थिति से उबर सकता है. उन्होंने कहा, “वास्तव में यह एक नाटकीय तरीका है और इसे पूरा करें. भारत के वाहन उद्योग के विकास की कहानी समाप्त होने वाली है.”
टाटा मोटर्स के सह अध्यक्ष वेणु श्रीनिवासन के मुताबिक ऑटो उद्योग 30 वर्षों के सबसे बड़े संकट का सामना कर रहा है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार जल्दी ही ऑटोमोबाइल क्षेत्र पर जीएसटी कम नहीं करती है तो बीएस VI पर शिफ्ट के दौरान संकट और अधिक गहरा सकता है.
गडकरी ने अपने संबोधन में ऑटो पार्ट्स निर्माताओं पर पड़ी सुस्ती की मार का भी जिक्र किया.