पूर्व एडमिरल ने पूछा, रिटायर्ड अधिकारियों के पत्र पर चुप्पी क्यों?
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पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल एल रामदास ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से पूछा है कि वे पूर्व सैन्य अधिकारियों के पत्र में जताई गई चिंताओं को लेकर चुप क्यों हैं. कुछ दिन पहले सशस्त्र सेनाओं के रिटायर्ड अधिकारियों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा था, जिसमें सेना के राजनीतिक इस्तेमाल पर रोक लगाने का आग्रह किया गया था.
पूर्व एडमिरल ने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा, “मैं आपको ये ध्यान दिलाने के लिए विवश हूं कि ईमेल से 11 अप्रैल को भेजे गए पत्र के बारे में कोई सूचना नहीं दी गई. ये ईमेल राष्ट्रपति भवन के तीन आधिकारिक पतों पर भेजा गया था, इनमें से कोई भी वापस नहीं आया, जिसका मतलब है कि पत्र पहुंच गए हैं.”
बीती 11 अप्रैल को 150 से अधिक रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा था. इस पत्र में राष्ट्रपति से आग्रह किया गया था कि वे सेना के राजनीतिक इस्तेमाल पर रोक लगाएं.
इस पत्र के लिखने से पहले और उसके बाद भी प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह समेत कई बीजेपी के नेता अपने चुनावी भाषणों में सेना के नाम पर वोट मांग रहे हैं.
इस दौरान बीजेपी के शीर्ष नेता सितंबर 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और अभी हाल में हुई बालाकोट स्ट्राइक को अपनी सरकार की उपलब्धि के रुप में दिखा रहे हैं. वे इन घटनाओं की सफलता और आतंकवादी घटनाओं में शहीद हुए सैनिकों के नाम पर वोट मांग रहे हैं.
एडमिरल रामदास ने अपने पत्र में राष्ट्रपति भवन के प्रेस सचिव से मिले जवाब का भी जिक्र किया है. इसमें कहा गया, “ईमेल से इस तरह का कोई जवाब नहीं मिला, इसके बाद स्पीड पोस्ट से भेजी गई हार्ड कॉपी और रजिस्टर्ड मेल मिले, लेकिन उन पर एनएफए लिखा था, जिसका मतलब है, आगे कोई कार्रवाई नहीं.”
28 अप्रैल को लिखे गए पत्र में कहा गया, “श्रीमान राष्ट्रपति, मैंने आपको पहले कई चिंताजनक मामलों के बारे में लिखा, ऐसे मामले जो देश और सशस्त्र बलों को प्रभावित करते हैं.
हालांकि 11 अप्रैल को लिखे गए पत्र पर राजनीति हुई, लेकिन ये अपनी तरह का पहला पत्र था जहां तीनों सेनाओं के मुखिया से बड़ी संख्या में सेना के पूर्व अधिकारियों ने आग्रह किया.”
पत्र में लिखा गया, “हमारी मांगे और चिंताएं बहुत साधारण हैं, सशस्त्र सैन्य बलों का राजनीतिक इस्तेमाल नहीं होना चाहिए, चाहे वो कोई भी दल क्यों ना हो. इसलिए आप और मुख्य चुनाव आयुक्त दोनों से आग्रह है कि इस विषय पर जल्द उचित कदम उठाएं जाएं.”
इस पत्र में राष्ट्रपति को याद दिलाया गया कि बड़ी संख्या में रिटायर्ड अधिकारी सेना के राजनीतिक इस्तेमाल पर रोक लगाने का आग्रह कर रहे हैं.
पत्र में लिखा गया, “जब आपको इस बारे में आग्रह करने वालों की दूसरी सूची भेजी गई तो कुल 422 पूर्व अधिकारियों ने इस पर हस्ताक्षर किए थे, इस बात का समर्थन करने वालों की संख्या अभी बढ़ ही रही है.”