भारतीय नोट बैन करने के बाद नेपाल ने तय की भारत में खर्च की सीमा
kathmandu post
नेपाल ने अपने नागरिकों पर भारत में एक लाख से अधिक रुपये खर्च करने पर पाबंदी लगा दी है. 26 दिसंबर को नेपाल राष्ट्र बैंक की ओर से कहा गया है कि नेपाल के नागरिक भारत में प्रति माह सेवा और माल लिए एक लाख रुपये से अधिक खर्च नहीं कर सकते हैं. इसके पीछे देश में चालू खाता घाटा को बताया गया है.
नेपाली बैंक की ओर से जारी प्रीपेड, क्रेडिट और डेबिट कार्ड पर भी यह नीति लागू होगी.
द हिन्दू में छपी रिपोर्ट में एक अर्थशास्त्री के हवाले से कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से अचानक की गई नोटबंदी की घोषणा और रुपए के वर्तमान हालात को देखते हुए नेपाल ने यह फैसला लिया है. नोटबंदी के बाद नेपाल भारतीय रुपये को लेकर लगातार संकट में रहा है.
नेपाल के केन्द्रीय बैंक के प्रवक्ता नारायण प्रसाद पाउडेल ने कहा कि यह निर्णय चालू खाता घाटा और बैलेंस ऑफ पेमेंट संकट के बाद लिया गया है.
राजधानी काठमांडू के अच्यूत वाघले बताते हैं कि भारत सरकार की ओर से की गई नोटबंदी का नेपाल में नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, इस तरह के फैसले से नेपाल भारत की ओर से भविष्य में किए जाने वाले किसी भी फैसले से खुद को सुरक्षित करने का प्रयास कर रहा है.
वह कहते हैं, “भारत में नोटबंदी के फैसले से नेपाल बुरी तरह प्रभावित हुआ है, पिछले महीनों में इसको लेकर आलोचना होती रही है. नेपाल सरकार ने भारत से बिना सलाह लिए यह फैसला लिया है.”
फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट डिपार्टमेंट के अध्यक्ष भीष्म राज धुंगाना ने कहा कि अस्पताल और दवाओं की खरीद को इस फैसले से अलग रखा गया है.
नेपाल सरकार के इस फैसले से भारत और नेपाल के बीच व्यापार प्रभावित होगा. नेपाल के व्यवसायी आमतौर पर भारतीय रुपए में भुगतान करते हैं. सीमावर्ती क्षेत्रों में ज्यादातर कारोबार भारतीय रुपये में होता है. भारतीय बड़े नोटों को बंद करने के दो सप्ताह के भीतर नेपाल सरकार ने यह बड़ा फैसला लिया है.