कॉर्पोरेट कर कटौती: सरकार के सामने वित्तीय घाटे को कम करने की चुनौती


gst council to establish tax payer complain system

 

पिछले हफ्ते सरकार ने कॉर्पोरेट कर में कटौती करने की घोषणा की. इस कटौती के तहत सरकार को 1.45 लाख करोड़ रुपये का राजस्व नहीं मिलेगा. इतनी बड़ी रकम का वित्तीय घाटे पर क्या असर पड़ेगा? अंग्रेजी वेबसाइट लाइव मिंट ने इसका विश्लेषण किया है.

वित्त वर्ष 2019-20 के लिए वित्तीय घाटे को जीडीपी का 3.3 प्रतिशत अर्थात 7.04 लाख करोड़ रुपये प्रोजेक्ट किया गया है. कॉर्पोरेट कर में कटौती करने से पहले सरकार को आशा थी कि वो इससे 7.66 लाख करोड़ रुपये का राजस्व इकट्ठा करेगी. अब 1.45 लाख करोड़ रुपये की छूट देने के बाद वित्तीय घाटा जीडीपी का लगभग 4 प्रतिशत हो जाएगा. यह तब है जब नॉमिनल टर्म्स में जीडीपी के 12 प्रतिशत की दर से वृद्धि करने का अनुमान लगाया गया है. वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए ऐसा होना बेहद मुश्किल है.

जीडीपी अगर 12 प्रतिशत की दर से नहीं बढ़ती है तो वित्तीय घाटा 4 प्रतिशत से भी ऊपर जा सकता है. सरकार खर्च कम करके वित्तीय घाटे को कम कर सकती है. लेकिन निर्मला सीतारमण कह चुकी हैं कि सरकार की खर्च कम करने की कोई योजना नहीं है. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सरकार के खर्च में 8.9 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है, लेकिन इसी तिमाही में अर्थव्यवस्था केवल 5 प्रतिशत की दर से बढ़ी. इस हिसाब से देखें तो जीडीपी की वृद्धि में सरकार के खर्चे का बड़ा योगदान रहा. अत: सरकार के खर्चे को कम ना करने की निर्मला सीतारमण की टिप्पणी आश्चर्यजनक नहीं है.

सरकार के पास एक दूसरा विकल्प सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का पूरी तरह से विनिवेश करना है. इससे सरकार के पास राजस्व इकट्ठा होगा. लेकिन यह करना सरकार के लिए आसान नहीं होगा. सरकार को मजदूर संगठनों के विरोध का सामना करना पड़ेगा. वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेचे जाने का विचार पसंद नहीं करता है. लेकिन सरकार अगर ऐसा कर भी लेती है तो भी इससे कॉर्पोरेट कर कटौती के पूरे खर्च की भरपाई नहीं होगी. ऐसा करने पर भी वित्तीय घाटे का बढ़ना तय है. इसका सीधा मतलब यह है कि सरकार को और अधिक उधार लेना पड़ेगा.

जब सरकार ज्यादा उधार लेगी तो दूसरे उधार लेने वालों के लिए कम पैसे बचेंगे. इससे ब्याज दरें और बढ़ जाएंगी. लेकिन अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार लगातार ब्याज दरों को नीचे रखने की बात कहती रही है. सरकार को इस साल अपने पांच बड़े करों से 23.2 लाख करोड़ रुपये का राजस्व जमा करने की आशा है. यह पिछले साल इन पांच बड़े करों के मुकाबले इकट्ठा किए गए राजस्व से 20 प्रतिशत अधिक है. इसके बाद भी वित्तीय घाटे में इजाफा होगा.


Big News