जापान, फिलीपींस, जर्मनी के बाद जलवायु परिवर्तन से हुआ भारत को सबसे अधिक नुकसान
दुनिया के अमीर देश हों या गरीब, जलवायु परिवर्तन से आने वाली आपदा से कोई नहीं बचा है. जापान, फिलीपींस, जर्मनी उन शीर्ष देशों में रहे हैं जहां पिछले साल प्रतिकूल मौसम से सबसे अधिक नुकसान हुआ. मैडागास्कर और भारत नुकसान के मामले में इन देशो से ठीक पीछे हैं. यह जानकारी शोधकर्ताओं ने दी है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते 20 वर्षों में सबसे गरीब क्षेत्रों पर मौसम की सबसे अधिक मार पड़ी है. प्यूर्तो रिको, म्यांमार और हैती सबसे अधिक उष्ण कटिबंधीय तूफानों की वजह से प्रभावित हुए हैं.
पर्यावरण थिंकटैंक जर्मनवॉच की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक जापान ने पिछले साल बारिश के बाद बाढ़, दो बार गर्मी और गत 25 साल में सबसे विनाशकारी तूफान का सामना किया. इसकी वजह से पूरे देश में सैकड़ों लोगों की मौत हुई, हजारों लोग बेघर हुए और करीब 35 अरब डॉलर का नुकसान हुआ.
अद्यतन वैश्विक जलवायु खतरा सूचकांक के मुताबिक श्रेणी-5 का मैंगहट तूफान साल का सबसे शक्तिशाली चक्रवाती तूफान रहा जो सितंबर महीने में उत्तरी फिलीपींस से होकर गुजरा और इसकी वजह से करीब ढाई लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा और प्राण घातक भूस्खलन की घटनाएं हुई.
जर्मनी को गत वर्ष दीर्घकालिक गर्मी की तपिश और सूखे का सामना करना पड़ा और औसत तापमान करीब तीन डिग्री सेल्सियस से अधिक दर्ज किया गया. इसकी वजह से चार महीनों में 1,250 लोगों की असामयिक मौत हुई और पांच अरब डॉलर का नुकसान हुआ.
भारत ने भी 2018 में लू के थपेड़ों और 100 साल की सबसे भीषण बाढ़ और दो तूफान का सामना किया. इससे कुल 38 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है.
वर्ष 2018 में मौसम के कारण आई आपदा से साबित हुआ कि सबसे विकसित अर्थव्यवस्था भी प्रकृति की दया पर निर्भर है.
जर्मनवॉच की शोधकर्ता लौरा स्किफर ने कहा, ”विज्ञान ने साबित किया है कि जलवायु परिवर्तन और बार-बार बहने वाली गर्म हवाओं में गहरा संबंध है.”
उन्होंने कहा, ”यूरोप में सौ साल पहले के मुकाबले गर्म हवाओं के चलने की आशंका 100 गुना तक बढ़ गई है. 2003 में तपिश की वजह से पश्चिमी यूरोप में खासतौर पर फ्रांस में करीब 70,000 लोगों की मौत हुई थी.