किसान कांग्रेस ने प्रधानमंत्री से किसानों की समस्याओं पर ध्यान देने की मांग की


AIKC N chairman nana patole writes to pm modi on challenges before the farmers in India

 

भारत में मानसून की मार झेल रहे किसानों के मौजूदा मुद्दों को उठाते हुए अखिल भारतीय किसान कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने बाढ़ और सूखा प्रभावित इलाकों में किसानों की समस्याओं से निपटने के लिए मौजूदा नीतियों पर सवाल खड़े किए हैं.

पत्र में पटोले ने फलस बीमा योजना, आपदा प्रभावित इलाकों में किसानों को सहायता, बीज अधिनियम, भूमि शीर्षक कानून पर सुझाव देते हुए एआईकेसी की मांगे रखी हैं. उन्होंने अपने पत्र में लिखा है, “खरीफ फसलों का मौसम है. ऐसे में भारत के विभिन्न हिस्से कम बारिश की मार झेल रहे हैं जबकि कुछ हिस्से बाढ़ का सामना कर रहे हैं. इसका खाद्य उत्पादन और किसानों की आय पर काफी बुरा प्रभाव हुआ है.”

पटोले ने पत्र में प्रधानमंत्री से किसानों के लिए उपलब्ध वित्तीय राहत तंत्र की समीक्षा की मांग की है. उन्होंने कहा “प्रधानमंत्री सुनिश्चित करें कि राहत सभी किसानों तक पहुंचे. राज्य और केंद्र के बीच तालमेल हो ताकि सभी आपदा प्रभावित किसानों तक राहत पहुंच सके.”

उन्होंने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर भी सवाल खड़े किए. पत्र में कहा गया है कि बीते तीन वर्षों में योजना अधिकतर किसानों तक पहुंचने में असफल रही है. उन्होंने लिखा है, “इस साल बजट में सरकार ने देश के सभी किसानों को सालाना 6000 रुपये की आर्थिक मदद करने की घोषणा की थी. हमें शिकायतें मिली हैं कि तय समय के भीतर किसानों के पास यह राशि नहीं पहुंच रही है. वहीं अन्य मामलों में किसानों के बैंक एकाउंट से ये राशि बिना उनकी जानकारी के निकाल ली गई.”

पत्र में कहा गया है कि हाल ही में सरकार ने पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी की है जिससे किसान बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.

योजनाओं के प्रचार-प्रसार की मांग करते हुए नाना पटोले ने लिखा है कि फसल बीमा योजनाओं और आर्थिक सहायता के बारे में किसान भाई-बहनों को जागरूक करने की जरुरत है. साथ ही पत्र में कृषि बीमा योजनाओं और उनके प्रदर्शन पर एक श्वेत पत्र जारी करने का अनुरोध किया गया है.

“इस साल जुलाई में सरकार ने कुछ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की. फसलों के लिए बढ़ोतरी वित्त के पैमाने से काफी कम रही. यह उत्पादन की वास्तविक लागत से कम है. बीते वर्षों की तुलना में भी ये बढ़ोतरी काफी कम रही.”

उन्होंने मांग की है कि हर साल एमएसपी उत्पादन की लागत के बराबर होनी चाहिए.

पत्र ने उन्होंने प्रधानमंत्री का ध्यान बीज अधिनियम की ओर भी दिलाया. उन्होंने लिखा, “बीज की गुणवत्ता और कीमतों का प्रभाव किसान की आय और उत्पादन की लागत पर होता है.” पटोले ने संसद में एक बीज विधेयक लाने की मांग की गई है, जो किसानों की जरूरतों और आकांक्षाओं का जवाब दे.


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