HC ने यूपी सरकार को CAA विरोधी प्रदर्शन आरोपियों के पोस्टर हटाने को कहा


Allahabad HC orders up govt to remove posters of caa protest accused

 

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को 19 दिसंबर 2019 को लखनऊ में सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा के आरोपियों की होर्डिंग हटाने का आदेश दिया है. कोर्ट ने सरकार द्वारा आरोपियों की होर्डिंग लगाने के कदम को ‘लोगों के जीवन में अनुचित दखलअंदाजी बताया है.’

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्वत: इस मामले का संज्ञान लिया था. इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने यह आदेश दिया. बेंच ने लखनऊ जिला प्रशासन को 16 मार्च तक होर्डिंग्स से आरोपियों की फोटो और पता हटाने के आदेश पर रिपोर्ट जमा करने को कहा है.

संयुक्त राष्ट्र द्वारा निजता के अधिकार को मूल अधिकार के रूप में पहचाने जाने का हवाला देते हुए बेंच ने कहा, ‘निजता मानवीय गरिमा और लोकतंत्र के प्रमुख गुणों से जुड़ी है. हमारे संविधान में निजता के अधिकार को अलग से नहीं पहचाना गया है, लेकिन कोर्ट ने पाया है कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निजता का अधिकार स्वाभाविक तौर पर व्यक्ति के जीवन के अधिकार और आजादी के रूप में समाहित है. इस अधिकार के थोड़े से भी हनन की अनुमति नहीं दी जा सकती. ऐसा करना हमारे संविधान की प्रस्तावना में वर्णित मूल्यों के लिए खतरनाक हो सकता है.’

इससे पहले इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 8 मार्च को फैसला सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के इस कदम को ‘व्यक्तिगत आजादी में पूर्ण अतिक्रमण बताया था.’

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लगाई गई होर्डिंग्स में कुछ प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं. इनमें कांग्रेस नेत्री सदफ जफर, रिहाई मंच के संयोजक मोहम्मद शोएब और दीपक कबीर और रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी मुख्य हैं.


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