अमेरिका की तालिबान को पेशकश: सुरक्षा और नौकरी


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अमेरिका अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान को शांति प्रक्रिया में शामिल करने के लिए कई तरह की पेशकश कर रहा है. इनमें चरमपंथियों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना भी शामिल है. एक मीडिया रिपोर्ट में यह बात सामने आई है.

पाकिस्तान के समाचार पत्र डॉन की ख़बर के मुताबिक तालिबान को अफ़ग़ान शांति प्रक्रिया में शामिल करने के अमेरिका पाकिस्तान, रूस और अन्य विश्व शक्तियों के प्रयास तेज करने के बीच अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने भी अफ़ग़ानिस्तान में विद्रोहियों के पुनर्वास के लिये रूपरेखा तैयार करने की योजना बनाई है.

इस हफ्ते संसद को भेजी गई पेंटागन की योजना का जिक्र करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है, “तालिबान के कुछ सदस्य लड़ाई छोड़कर हथियार डालने को तैयार हैं, वह समाज में तभी लौटेंगे जब उनकी और उनके परिवार की सुरक्षा की गारंटी ली जाएगी और उन्हें अपना परिवार चलाने के लिये पर्याप्त पैसा कमाने का मौका मिलेगा.”

रिपोर्ट में कहा गया है कि पेंटागन का मानना है कि स्थानीय नेता ऐसे विकास कार्यक्रम चला रहे हैं जिनसे कुछ हद तक शांति के रास्ते पर लौटा जा सकता है, लेकिन अफ़ग़ान सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर पुन: एकीकरण का कार्यक्रम नहीं चलाया है.

ट्रंप प्रशासन जहां अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी चाहता है तो वहीं रक्षा मंत्रालय का मानना है कि तालिबान पर शांति वार्ता में शामिल होने का दबाव बनाने के लिये पर्याप्त सैनिकों की जरूरत है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते 16 महीनों के दौरान अमेरिका और उसके सहयोगियों ने तालिबान पर लंबे और समावेशी राजनीतिक समझौते के लिए सैन्य ताकत का इस्तेमाल भी किया है.

ऐसा दावा किया गया कि पेंटागन की इसी योजना की वजह से तालिबान को जून में ईद उल फितर पर संघर्ष विराम को स्वीकार करने के लिए बाध्य होना पड़ा.


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