अमेरिकी बी-स्कूलों में भारतीयों के आवेदन में कमी


american business schools said there is decline in number of indian applying for courses

 

48 फीसदी अमेरिकी बिजनेस स्कूलों का कहना है कि एमबीए के अलग-अलग प्रोग्राम में भारतीय छात्रों के आवेदन में गिरावट आई है.

इस बार जीमैट देने वाले केवल 45 फीसदी भारतीय छात्रों ने अमेरिकी बिजनेस स्कूलों को अपना स्कोर भेजा. ये आंकड़ें ग्रेजुएट मैनेजमेंट एडमिशन काउंसिल की ओर से जारी किए गए हैं.

वहीं यूएस प्रोग्राम के लिए आवेदन देने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या में 13.7 फीसदी की गिरावट आई है.

48 फीसदी यूएस प्रोग्रामों के लिए आवेदन देने वाले अंतरराष्ट्रीय बच्चों की संख्या में इस साल गिरावट देखी गई. इसमें 23 फीसदी प्रोग्राम ऐसे रहे जिनमें बड़ी गिरावट देखी गई.

आवेदन नहीं करने वाले आधे छात्रों ने कहा कि यूएस में नौकरी मिलने की कम उम्मीदों के चलते उन्होंने ये फैसले किया. इसके अलावा छात्र वीजा (48 फीसदी), राजनीतिक माहौल (47 फीसदी), सुरक्षा का डर (37 फीसदी) और भेदभाव को लेकर चिंता (34 फीसदी) जैसे कारणों ने भी छात्रों के फैसले को प्रभावित किया.

विश्व भर से भी एमबीए प्रोग्राम के लिए आवेदनों में साल दर साल 6.9 फीसदी की गिरावट आई है.

वहीं कानाडा की बात करें तो ये लगातार तीसरा साल है जब वहां अधिकतर प्रोग्राम के लिए आवेदनों में बढ़ोतरी हुई है.

यूनाइटेड किंगडम में 61 फीसदी एमबीए प्रोग्राम में साल 2019 में पिछले साल की तुलना में अधिक आवेदन देखने को मिले.

चौंकाने वाली बात रही कि यूएस में अच्छी रैंक वाले, दो साल के फुल टाइम एमबीए प्रोग्रामों में आवेदनों में सबसे अधिक गिरावट रही.

700 या इससे अधिक के जीमैट स्कोर के साथ अमेरिकी प्रोग्राम में आवेदन करने वाले छात्रों की संख्या में हालांकि बहुत अधिक गिरावट नहीं देखी गई. इस स्कोर के साथ 2017 में 69 फीसदी छात्रों ने आवेदन किया था जबकि 2019 में 62 फीसदी छात्रों ने आवेदन दिया.


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