ट्रंप के शांति वार्ता रोकने से अमेरिका को होगा नुकसान: तालिबान


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अमेरिका की सबसे लंबी लड़ाई को समाप्त करने पर केंद्रित सालभर से चल रही वार्ता से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पीछे हटने की घोषणा के बाद तालिबान ने आठ सितंबर को कहा कि इससे सबसे ज्यादा नुकसान अमेरिका को होगा. साथ ही तालिबान ने ये भी कहा कि उसने आगे किसी भी तरह की वार्ता के लिए दरवाजे खुले छोड़े हैं.

तालिबान की ओर से ट्विटर पर जारी बयान में उसके प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा,‘‘हम अब भी…. विश्वास करते हैं कि अमेरिकी पक्ष को यह समझ में आएगा .. पिछले 18 सालों से हमारी लड़ाई ने अमेरिकियों के लिए साबित कर दिया है कि जब तक हम उनके कब्जे का पूरी तरह से समापन नहीं देख लेते तब तक हम संतुष्ट नहीं होंगे.’’

बयान में कहा गया है कि तालिबान ने अमेरिका के साथ समझौते को करीब अंतिम रूप दे दिया था और जिससे अमेरिका तालिबान से सुरक्षा वादों के एवज में अपने सैनिकों को वापस करना शुरू कर देता.

बयान के मुताबिक दोनों इस करार के घोषणा होने की तैयारी कर रहे थे लेकिन उसी बीच ट्रंप ने सात सितंबर को घोषणा कर दी कि उन्होंने शांति वार्ता रोक दी है.

ट्रंप ने वार्ता से पीछे हटने की वजह छह सितंबर को काबुल में हुए एक तालिबान हमले को बताया है, जिसमें एक अमेरिकी सैनिक समेत 12 लोग मारे गए. इस वार्ता में इस सप्ताह के अंत में मैरीलैंड के कैंप डेविड में तालिबान के साथ होने वाली गुप्त बैठक भी शामिल है.

हालांकि, तालिबान ने अपने बयान में ट्रंप द्वारा बतायी गई वजह को खारिज कर दिया और कहा कि ट्रंप में ना तो अनुभव है और ना ही धैर्य झलकता है. तालिबान ने अमेरिका पर लड़ाई में सैंकड़ों अफगानों की हत्या करने का आरोप लगाया.

बयान में कहा गया है कि ट्रंप के फैसले से सबसे ज्यादा नुकसान अमेरिकियों को होगा, अमेरिका की साख को क्षति पहुंचेगी तथा उसका शांति विरोधी रुख दुनिया के सामने और स्पष्ट होकर सामने आएगा.


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