जीएसटी दरों में कटौती करने के विरोध में विपक्षी पार्टियां
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) काउंसिल की बैठक शुक्रवार 20 सितंबर को होने वाली है. माना जा रहा है कि इस बैठक में काफी बहस-मुबाहिसा होगी. इस बैठक में केंद्र सरकार ऑटोमोबाइल क्षेत्र के टैक्स में कटौती करने का प्रस्ताव रखने वाली है. इस मुद्दे पर कुछ विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार का विरोध करेंगी. विपक्ष के विरोध करने के पीछे राजस्व की कमी और उद्योगों द्वारा कर में कटौती का फायदा उपभोगताओं तक पहुंचाने में असफल होना शामिल है.
सभी राज्यों की विपक्षी पार्टियां संघीय अप्रत्यक्ष कर निकाय की सदस्य होती हैं. माना जा रहा है कि इस मुद्दे पर विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार के लिए कोई भी फैसला लेने में काफी सख्ती बरतने वाली हैं.
इस वक्त ऑटोमोबाइल क्षेत्र मंदी के दौर से गुजर रहा है. ऐसे में उद्योग मांग कर रहा है कि ऑटोमोबाइल क्षेत्र के टैक्स में कटौती की जाए जिससे बिक्री की लगातार गिरावट से कुछ राहत मिल पाए. ऑटोमोबाइल क्षेत्र के बिक्री में गिरावट पिछले दो दशकों से ज्यादा होने के बाद यह स्थिति पैदा हुई है.
इस महीने की शुरुआत में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि ऑटोमोबाइल क्षेत्र के कर में कटौती का प्रस्ताव जीएसटी काउंसिल की बैठक में उठाई जाएगी.
केरल के वित्त मंत्री थॉमस आइजैक ने कहा है कि सरकार को राज्यों को केंद से मिलने वाली उधार सीमा में ढील देनी चाहिए. वर्तमान में केंद्र और राज्यों के बीच सकल राज्य घरेलू उत्पाद 3 फीसदी पर तय है. उन्होंने कहा कि यह बीते कई वर्षों से राज्य सरकारों की मांग रही है. और इस मांग को पूरा किए बगैर जीएसटी दरों में कटौती करने से कोई फायदा नहीं होगा. रविवार को एक ट्वीट में भी आइजैक ने कहा, ‘आर्थिक वृद्धि दर को और नीचे गिरने से रोकन के लिए केंद्र सरकार ने जो सुझाव शनिवार को एलान किया है वो उम्मीद और जरूरत दोनों के पैमाने पर खरा नहीं उतरता है.’ उन्होंने केंद्र से गुजारिश कि है कि वह अर्थव्यवस्था के मामले में छिटपुट रवैया अपनाने के बजाय एक बड़े दृष्टिकोण को अपनाए.
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि नैतिक रूप से वह टैक्स दरों में कटौती के खिलाफ नहीं हैं. सिसोदिया ने एक साक्षत्कार में कहा, ‘मैंने कर की दरों को कम रखने का समर्थन किया था. लेकिन क्या हमारे पास डेटा उपलब्ध है जो यह साबित कर सके कि टैक्स दरों की कटौती से अन्य उद्योगों में वृद्धि को बढ़ाव मिला है.’
नाम ना बताने की शर्त पर केंद्र सरकार के एक अधिकारी के मुताबिक शनिवार तक जीएसटी काउंसिल बैठक के लिए एजेंडा को अंतिम रूप नहीं दिया गया था.
कुछ राज्य सरकार के अधिकारी इसलिए भी चिंतित हैं क्योंकि जीएसटी दरों में कटौती का फायदा पूरी तरह उपभोगताओं को नहीं मिलेगा. और अगर ऐसा हो भी जाता है तो फिर कुछ वक्त के बाद दाम फिर बढ़ जाएंगे.
राष्ट्रीय मुनाफाखोरी विरोधी प्राधिकरण (एनएए) के महानिदेशालय ने अब तक 125 मामलों की जांच की है. इन सभी पर कथित रूप से मुनाफाखोरी का आरोप लगाया गया है. जांच में 60 फीसदी विक्रेताओं के दोषी होने का पता चला है.
केंद्र सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के अंतर्गत 16 नवंबर, 2017 को राष्ट्रीय मुनाफाखोरी विरोधी प्राधिकरण (नेशनल एंटी-प्रॉफिटिंग अथॉरिटी) का गठन किया था. सरकार के अनुसार इस प्राधिकरण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वस्तु एवं सेवाओं पर जीएसटी की दरों में कटौती का लाभ अंतिम उपभोक्ता तक कीमतों में कटौती के माध्यम से पहुंच पाए.
नाम ना बताने के शर्त पर एक अन्य राज्य के वित्त मंत्री ने कहा है कि उनका राज्य जीएसटी दरों में कटौती का विरोध करती है. लेकिन फिर भी काउंसिल की बैठक में सरकार को समर्थन मिल जाएगा क्योंकि ज्यादातर राज्य बीजेपी शासित हैं. उन्होंने आगे कहा, ‘आमतौर पर केंद्र जो चाहती है वो जीएसटी काउंसिल की बैठक में लागू कर देती है.’
ऑटोमोबाइल उद्योग के अलावा बिलडर्स सीमेंट पर लागू 28 फीसदी जीएसटी की दरों में कटौती की मांग रहे हैं. सीमेंट पर जीएसटी के ऊंचे दर होने से डेवलपर्स को परेशानी हो रही है. इस विषय के एक जानकार ने बताया, ‘सीमेंट पर उच्च जीएसटी से डेवलपर्स प्रीमियम के लिए पांच फीसदी वाले कम टैक्स दर प्रणाली और निर्माणाधीन और किफायती घरों के लिए एक फीसदी के तहत ग्राहकों को घर बेचने से बच रहे हैं. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि डेवलप्रस जो कच्चे माल (जैसे-सीमेंट) पर टैक्स का भुगतान कर रहे हैं, इसका भार ग्राहकों पर देने की इजाजत नहीं हैं.’
ऑटोमोबाइल उद्योग में जीएसटी दरों में कटौती से केंद्र सरकार को भी दिक्कत पेश आने वाली है. माना जा रहा है कि इस वित्त वर्ष के आखिर तक 40 हजार करोड़ तक राजस्व में कमी आएगी, इसके लिए जीएसटी संग्रह के प्रवृत्ति में बदलाव करने की जरूरत है.
आइजैक के मुताबिक, ‘केंद्र सरकार राज्य सरकारों से उपकर उधार ले सकती है और राज्यों को उनके उपकर संग्रह में हो रही कमी के चलते मुआवजा भी दे सकती है. उपकर संग्रह को और दो सालों के लिए बढ़ाया जा सकता है.’
जीएसटी के तहत ऑटोमोबाइल क्षेत्र, तंबाकू उत्पाद, और सॉफ्ट ड्रिंक्स पर लगने वाले उपकर जीएसटी लागू होने के शुरू के पांच सालों तक यानि 2022 तक सरकार की ओर से मुआवजा मिलना तय किया गया था.
गोवा में होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक उस वक्त हो रही है जब केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच वित्त तनाव गहरा रहा है.
अर्थव्यवस्था में लगातार सुस्ती के चलते राज्य सरकारों को चिंता है कि इससे 15वें वित्त आयोग यह मानने पर मजबूर हो जाएंगे कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर की रफ्तार धीमी रहेगी. इसका मतलब यह हुआ कि राज्यों को कर राजस्व से मिलने वाला हिस्सा बहुत कम होगा.