हिंदी को लेकर शाह के बयान पर राजनीतिक दलों की तीखी प्रतिक्रिया


 Amit Shah's ideology is danger for Hindi: Congress

 

गृह मंत्री अमित शाह के ‘एक देश एक भाषा’ के बयान पर कड़ी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. कांग्रेस ने कहा है कि हिन्दी को किसी दूसरी भाषाओं की बजाय अमित शाह की विचारधारा से खतरा है. हिन्दी दिवस के मौके पर टॉप पांच ट्विटर ट्रेंड हिन्दी से जुड़े हैं.  शाह के बयान के बाद से ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है. वहीं  दूसरे नंबर पर ट्विटर ट्रेंड में है. इसके साथ #हिन्दी_दिवस और #HindiDivas भी टॉप पांच ट्विटर ट्रेंड में है. तमिलनाडु सहित दक्षिण भारत के राज्यों के लोग मुख्य रूप से अमित शाह के बयान की आलोचना कर रहे हैं.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा, ”हिंदी राज भाषा है और इस पर कोई भी विवाद नहीं है, लेकिन तीन भाषाओं का फार्मूला देश ने आजादी के बाद तय किया और हर सरकार ने उसका सम्मान किया है। गृहमंत्री को, प्रधानमंत्री को, भाजपा सरकार को भी उसका सम्मान करना चाहिए.”

उन्होंने कहा, ”भारत की विविधता को भी स्मरण करते हुए जहां देश के संविधान ने 22 भाषाओं को स्वीकार किया है, वो सब देश की भाषाएं हैं, चाहे वो तमिल है, कन्नड़ है, तेलगू है, उड़िया है, बंगाली है, मराठी है, गुजराती है, पंजाबी है, उर्दू है, डोगरी है. इनको सबको स्वीकार करना चाहिए और अकारण कोई विवाद इस विषय पर नहीं खड़ा करना चाहिए.”

उन्होंने कहा, ”हमें उन भावनात्मक एवं संवेदनशील मुद्दों पर विवाद नहीं छेड़ना चाहिए जिनका समाधान हमारे संविधान निर्माताओं और प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने आजादी के बाद परिपक्वता के साथ कर दिया था.’

कांग्रेस ने ट्वीट किया, ‘अमित शाह जी, भाषाई विविधता हमारे महान देश की सबसे बड़ी ताकत रही है। खुद हिंदी ने भी अपनी उदारता एवं विविधता के चलते ही अन्य भाषाओं के शब्दों को ग्रहण किया है और खुद को समृद्ध बनाया है. भारत तो एकता के सूत्र में बंधा हुआ ही है। आपकी विचारधारा से ही उसे खतरा है, भाषाओं से नहीं.’

इससे पहले अमित शाह ने कहा था कि भारत विभिन्न भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना महत्व है परन्तु पूरे देश की एक भाषा होना अत्यंत आवश्यक है जो विश्व में भारत की पहचान बने. आज देश को एकता की डोर में बाँधने का काम अगर कोई एक भाषा कर सकती है तो वो सर्वाधिक बोले जाने वाली हिंदी भाषा ही है.

हिंदी दिवस पर शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहा कि भारत विभिन्न भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना महत्व है लेकिन पूरे देश की एक भाषा होना अत्यंत आवश्यक है जो विश्व में भारत की पहचान बने.

सीपीएम ने ट्वीट किया, ‘अमित शाह की एक भाषा की ओर ले जाने की कोशिश देश की विविधता की मूल भावना पर प्रहार है. हमें सभी भाषाओं का सम्मान करना चाहिए और कोई एक भाषा विशेष किसी पर भी थोपी नहीं जानी चाहिए. दूसरों पर हिन्दी को थोपना आरएसएस की एक देश एक भाषा की योजना है जो कि शर्मनाक है.

सीपीआई ने बयान जारी कर कहा, ‘‘अमित शाह का हिंदी दिवस पर यह बयान कि अगर कोई एक भाषा पूरे देश की एकता सुनिश्चित कर सकती है वह हिंदी है, यह विविधता की संकल्पना पर हमला है. आज जरूरत है कि देश की विविधता का सम्मान करें, इसकी रक्षा करें और इसे आगे बढ़ाएं ताकि एकता सुनिश्चित हो सके.’’

बयान में कहा गया है, ‘‘गृह मंत्री का बयान संघीय ढांचे पर हमला है और आरएसएस की राजनीति और विचारधारा का जीवन के हर क्षेत्र में प्रसार है. आरएसएस के हिंदुत्व के एजेंडे के तहत हिंदी को थोपे जाने के मोदी- शाह सरकार के बार-बार के प्रयास की भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(सीपीआई) निंदा करती है. यह वास्तव में हमारे देश को बांटेगा.’’

सीपीआई ने शाह से बयान वापस लेने की मांग की है.

पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणस्वामी ने कहा कि देश के लिए एक भाषा का होना आवश्यक है लेकिन इसके लिए सिर्फ हिंदी पर जोर दिया जाए, यह हमारे देश को एकजुट नहीं रखेगा. हमें सभी धर्मों, संस्कृतियों और भाषाओं का सम्मान करना होगा. यह भारतीय गवर्नेंस का मूल मंत्र है.

वहीं, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि भारत- हिंदी, हिंदू और हिंदुत्व से बड़ा है. उन्होंने ट्वीट किया, ‘हिन्दी सभी भारतीय की मातृभाषा नहीं है. अनुच्छेद 29 सभी भारतीय को अपनी भाषा, लिपि और संस्कृति जीने का अधिकार देता है. क्या आप इस देश की अनेक मातृभाषाओं की विविधता और सौंदर्य को बढ़ाने का प्रयास कर सकते हैं.’

डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन ने कहा, ‘हम हिंदी थोपने का लगातार विरोध करते रहे हैं. अमित शाह के आज के बयान ने हमें झटका दिया है, यह देश की एकता को प्रभावित करेगा. हम उनसे बयान वापस लेने की मांग करते हैं.’

कर्नाटक में कांग्रेस एवं जद (एस) ने अमित शाह के बयान को भाषा को ‘थोपना’ करार दिया.

हालांकि सत्तारूढ़ बीजेपी ने इस भाषा को कन्नड की तरह ही सीखने की वकालत की और राज्य के लोगों से अपील की कि इसे भाषा को थोपने की तरह न देखें.

कन्नड में ट्वीट करते हुए राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने ट्वीट किया, ‘हिंदी के राष्ट्रभाषा होने का झूठ बंद किया जाना चाहिए. यह सभी को जानना होगा कि यह कन्नड के जैसी ही है. भारत की 22 आधिकारिक भाषाओं में से एक.’

उन्होंने लिखा, ‘आप झूठ और गलत जानकारी फैलाकर एक भाषा का प्रचार नहीं कर सकते. भाषाएं एक दूसरे के प्रति स्नेह और सम्मान से समृद्ध होती हैं.’

कांग्रेस नेता ने हालांकि यह याद दिलाया कि वह हिंदी के खिलाफ नहीं हैं लेकिन भाषा को थोपे जाने के प्रयास के खिलाफ हैं.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘भाषाएं ज्ञान के दरवाजे खोलती हैं. उन्हें प्यार से समृद्ध करना चाहिए न कि बलपूर्वक. मैं भी हिंदी दिवस के आयोजन के खिलाफ हूं.’

जद(एस) नेता एच डी कुमारस्वामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जानना चाहा कि देश भर में ‘कन्नड दिवस’ कब मनाया जाएगा.

कुमारस्वामी ने ट्वीट किया, ‘केंद्र सरकार ‘हिंदी दिवस’ मना रही है. आप कन्नड दिवस कब मनाएंगे श्रीमान नरेंद्र मोदी जो कि हिंदी की तरह ही एक आधिकारिक भाषा है? याद रखिये कि कर्नाटक के लोग संघीय प्रणाली का हिस्सा हैं.’

उन्होंने ‘हिंदी थोपना बंद करो’ का हैशटैग भी चलाया.

दूसरी तरफ प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री एस सुरेश कुमार ने हिंदी सीखने पर जोर दिया.

चामराजनगर में जिला प्रशासन द्वारा आयोजित हिंदी दिवस कार्यक्रम के मौके पर मंत्री ने कहा,’हमनें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शुद्ध हिंदी में भाषणों को देखकर हिंदी सीखी. वह भारत के पहले नेता थे जो अपने भाषण हिंदी में देते थे.’

मंत्री ने कहा कि कन्नड की तरह ही हिंदी को भी समान स्थान दिया जाना चाहिए.

उन्होंने हिंदी शिक्षकों को उनकी शिकायतें दूर करने का भी आश्वासन दिया.

एक बांग्ला भाषी यूजर ने ट्विटर पर लिखा कि टैक्स का पैसा देने के बावजूद नेशनल वोटर्स सर्विस पोर्टल की वेबसाइट पर बांग्ला का विकल्प क्यों नहीं है.

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने हिन्दी में कविता शेयर करते हुए सभी भाषाओं को समान व्यवहार मिलने की पैरवी की है.


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