आंध्र प्रदेश: कापू समुदाय को आर्थिक आरक्षण में आधा हिस्सा मिला
आंध्र प्रदेश सरकार ने केन्द्र सरकार की तरफ से लाए गए 10 फीसदी आर्थिक आरक्षण में से पांच फीसदी कापू समुदाय को देने का फैसला किया है.
आंध्र प्रदेश में कापू समुदाय की गिनती सामान्य श्रेणी की जाति में होती है. हालांकि 2014 में मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने इस समुदाय को ओबीसी में शामिल करने का वादा किया था.
मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि राज्य सरकार ने काफी समय पहले कापू समुदाय को आरक्षण देने के लिए केन्द्र से अनुरोध किया था. लेकिन मोदी सरकार इस पर सहमत नहीं हुई थी.
नायडू ने टीडीएस नेताओं से टेलीकांफ्रेंस के दौरान कहा, ‘‘अब 10 फीसदी आर्थिक आरक्षण में से हम पांच प्रतिशत कापू समुदाय और बाकी का पांच फीसदी ईडब्ल्यूएस (सामान्य वर्ग के गरीब) को देंगे.’’
संसद ने इस महीने की शुरुआत में संविधान संशोधन विधेयक पारित किया था. इसमें सामान्य श्रेणी को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में दस प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है.
तेलुगू देशम पार्टी ने 2014 चुनावों से पहले कापू समुदाय को पिछड़ा वर्ग सूची में शामिल करने और नौकरियों, शिक्षण संस्थानों में पांच प्रतिशत आरक्षण देने का वादा किया था.
दो दिसंबर 2017 को आंध्र प्रदेश सरकार ने विधानसभा में एक विधेयक पेश करके कापू समुदाय को पांच प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव रखा था. यह प्रस्तावित आरक्षण 50 प्रतिशत आरक्षण से ऊपर था.
यह विधेयक बाद में केन्द्र के पास भेजकर कापू समुदाय को पिछड़ा वर्ग सूची में शामिल करने के लिए संविधान संशोधन करने का अनुरोध किया था. तब केन्द्र ने राज्य सरकार को मना करते हुए कहा था कि यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन करता है.
इससे पहले, आंध्र प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग ने आरक्षण की सिफारिश करने वाली रिपोर्ट सौंपी थी.
हालांकि, आयोग के तत्कालीन चीफ जस्टिस के एल मंजूनाथ का हस्ताक्षर इस रिपोर्ट पर नहीं था. जबकि दो अन्य सदस्यों ने इसे राज्य सरकार को सौंपा था.
आयोग का गठन जनवरी 2016 को कापू समुदाय के आंदोलन के बाद किया गया था.