BSNL कर्मचारियों ने पीएम को लिखा पत्र, कंपनी को दोबारा खड़ा करने की गुजारिश
भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के कर्मचारियों ने देश के प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर गुजारिश की है कि वे बीएसएनएल को एक मजबूत दूरसंचार ऑपरेटर के तौर पर दोबारा खड़ा करें.
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कंपनी के कर्मचारियों ने कहा है, “हमें मालूम हुआ है कि वित्त मंत्रालय बीएसएनएल को दोबारा खड़ा करने के बजाय इसे बंद करने का प्रस्ताव पेश करने वाली है.”
पत्र में बीएसएनएल के कर्मचारी संघ के महासचिव सेबेस्टियन के ने कहा है, “ऐसा महसूस हो रहा है कि वे अफसर जो इस पूरी परिक्रिया में जुटे हुए हैं उन्हें राष्ट्र निर्माण और सरकारी योजनाओं और परियोजनाओं को लागू करने में बीएसएनएल की निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जानने का अवसर ही नहीं मिल सकता है.”
कई महत्वपूर्ण परिस्थितियों के दौरान कंपनी की निभाई गई अहम भूमिका पर जोर देते हुए कर्मचारियों ने सरकार से इस संकट से निकलने के लिए राहत की मांग की है.
सेबेस्टियन ने जम्मू-कश्मीर के वर्तमान हालात का हवाला देते हुए कहा कि कंपनी के इतने बड़े घाटे से जूझने के बावजूद घाटी में सरकारी अधिकारियों और सुरक्षा बलों को लैंडलाइन और मोबाइल सेवा मुहैया करवाने की जिम्मेदारी पूरी तरह से बीएसएनएल पर निर्भर है.
घाटी में सुरक्षा कारणों के चलते कोई अन्य ऑपरेटर को दूरसंचार सेवा प्रदान करने की इजाजत नहीं है.
बीएसएनएल देश के दूर-दराज इलाकों में दूरसंचार सेवाएं मुहैया करवाता है. लगभग 17 हजार से 18 हजार टेलिफोन एक्सचेंज काम में हैं. कंपनी को सालाना तीन से चार हजार करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है. नहीं तो उन सभी गांव में दूरसंचार सेवाएं ठप्प हो जाएंगी.
इस पूरे प्रकरण से परेशान एक कर्मचारी ने कहा, “सरकार और मीडिया की तरफ से एक गलत धारणा बना दी गई है कि बीएसएनएल के घाटे में चलने की खास वजह कर्मचारियों पर होने वाला खर्च है.”
पत्र में लिखा गया है कि बीएसएनएल कई लोगों को सीधे तौर पर नौकरी प्रदान करता है. इसके अलावा कंपनी की देखरेख और संचालन का काम भी यहां के कर्मचारी ही करते हैं. जबकि दूसरी कंपनियां ज्यादातर इन सब कामों के लिए बाहर से लोगों को बुलाते हैं.
पत्र में कहा गया है कि आउटसोर्सिंग एजेंसियां लोगो से काम तो लेती हैं लेकिन उनकी लागत कंपनी के खातों में मजदूरी के बिल के रूप में नहीं दिखाती हैं.
दूसरी ओर बीएसएनएल लैंडलाइन सेवाएं प्रदान करता है जिसके लिए बड़े पैमाने पर श्रम की आवश्यक्ता होती है.