विवाह के लिए न्यूनतम उम्र समान करने को लेकर विधि मंत्रालय से राय लेने की अपील


The trend of traditional marriage is declining in India: UN report

 

महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) मंत्रालय ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा कि पुरुषों और महिलाओं के विवाह के लिए एक समान न्यूनतम उम्र सीमा निर्धारित करने के मुद्दे पर विधि मंत्रालय की भी राय ली जाए.

मंत्रालय ने पुरुषों और महिलाओं के विवाह के लिये समान उम्र निर्धारित करने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर अदालत में यह दलील दी.

भारत में पुरुषों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र सीमा 21 साल, जबकि महिलाओं के लिये 18 साल है.

मंत्रालय ने मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और जस्टिस सी हरि शंकर की पीठ से कहा कि चूंकि याचिका विभिन्न विवाह कानूनों से संबद्ध है, इसलिए विधि मंत्रालय की टिप्पणी की भी जरूरत है.

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अदालत से यह भी कहा कि वह बाल विवाह को प्रतिबंधित करने वाले कानून में संशोधन के लिए हितधारकों से परामर्श कर रहा है.

मंत्रालय की ओर से केंद्र सरकार की वकील मोनिका अरोड़ा ने विधि मंत्रालय की टिप्पणी प्राप्त करने के लिए अदालत से वक्त मांगा.

पीठ ने सरकार की दलीलों पर संज्ञान लेते हुए इस विषय की अगली सुनवाई 19 फरवरी के लिए सूचीबद्ध कर दी.

यह याचिका बीजेपी नेता एवं अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दायर की है.

उपाध्याय ने दलील दी है कि विवाह के लिए पुरुषों और महिलाओं की न्यूनतम आयु सीमा में अंतर पितृसत्तामक रूढ़ियों पर आधारित हैं और इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.

याचिका के जरिए विवाह की आयु सीमा के मामले में महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव को चुनौती दी गई है.


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