आयकर विभाग ने अशोक लवासा की पत्नी से पूछताछ की
चुनाव आयुक्त अशोक लवासा की पत्नी नोवेल लवासा से आयकर विभाग ने पूछताछ की.
आयकर विभाग ने नोवेल लवासा से यह पूछताछ 10 कंपनियों के डायरेक्टर के तौर पर उनकी आय और मुनाफे के संबंध में की. इन 10 कंपनियों में दो टाटा समूह की हैं और छह वेल्सपन समूह की.
बताया जा रहा है कि नोटिस मिलने के बाद पिछले हफ्ते नोवेल आयकर विभाग के सामने पेश हुई थीं. उनसे इनकम टैक्स रिटर्न में किसी और आय के अलावा 10 कंपनियों के डायरेक्टर के तौर पर होने वाली आय के बारे के बारे में जानकारी मांगी गई थी. उनके पिछले पांच साल के इनकम टैक्स रिटर्न की जांच की जा रही है.
वहीं नोवेल लवासा ने देर रात बयान जारी कर कहा कि उन्होंने अपनी आय पर सभी करों का भुगतान किया है.
नोवेल ने कहा, “मेरे द्वारा दायर कर रिटर्न में विसंगतियों के संबंध में आयकर नोटिस (मुझे जारी किए गए) के बारे में मीडिया के कुछ वर्गों में खबरें आई हैं.”
उन्होंने कहा, “यह बताया जाता है कि मैंने आयकर कानूनों के अनुसार सभी करों का भुगतान करने के अलावा पेंशन और अन्य स्रोतों से अर्जित पूरी आय का खुलासा किया है.”
उन्होंने कहा, “मैंने पांच अगस्त 2019 के बाद आयकर विभाग की ओर से भेजे गए सभी नोटिसों का जवाब दिया है और विभाग की तरफ से की जा रही कार्यवाही में सहयोग भी कर रही हूं।”
नोवेल को 2 मई, 2017 को टाटा ग्रुप ज्वॉइंट वेंचर पावरलिंक्स ट्रांसमिसन का डायरेक्टर नियुक्त किया गया था. तब उनके पति वित्त सचिव थे. मई 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद अशोक लवासा उन कुछ गिने-चुने प्रशासकों में से हैं, जिन्हें ऊंचे पदों पर नियुक्त किया गया.
अगस्त 2014 में उन्हें पर्यायवरण सचिव के तौर पर नियुक्त किया गया था. अप्रैल 2016 में उन्हें वित्त सचिव बनाया गया. इस पद पर वे अक्टूबर 2017 तक रहे. जनवरी 2018 में उन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया.
पर्यायवरण और वित्त सचिव रहते हुए अशोक लवासा की पत्नी को दस कंपनियों के डायरेक्टर के तौर पर नियुक्ति मिली. इन कंपनियों में से कई को एनवायरमेंट क्लियरेंस नहीं मिला था. इस तरह से उनकी पत्नी को इन कंपनियों के डायरेक्टर के तौर पर नियुक्त किया जाना, हितों के टकराव का मामला था. अशोक लवासा ने इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान अशोक लवासा ने चुनाव आयोग के उस फैसले के खिलाफ असहमति जताई थी, जिसमें आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने के मामलों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी गई थी.
अशोक लवासा ने मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को लिखे पत्र में कहा कि उनकी असहमति को सार्वजनिक किया जाए. चुनाव आयोग ने उनकी मांग को 2:1 के फैसले से खारिज कर दिया था.