अयोध्या भूमि विवाद: न्यायालय छह अगस्त से करेगा रोजाना सुनवाई
उच्चतम न्यायालय ने राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले पर संज्ञान लेते हुए कहा कि अब इस मामले में छह अगस्त से रोजाना सुनवाई होगी. न्यायलय ने यह फैसला सर्वमान्य समाधान मध्यस्थता के माध्यम से खोजने में सफलता नहीं मिलने के बाद लिया.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्ला की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति की रिपोर्ट का संज्ञान लिया कि इस विवाद का सर्वमान्य हल खोजने के उसके प्रयास विफल हो गये हैं.
पीठ ने कहा, “हमें मध्यस्थता समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति कलीफुल्ला की ओर से पेश की गई रिपोर्ट मिल गयी है. हमने इसका अवलोकन किया है. मध्यस्थता कार्यवाही से किसी भी तरह का अंतिम समाधान नहीं निकला है इसलिए हमें अब लंबित अपील पर सुनवाई करनी होगी जो छह अगस्त से शुरू होगी.”
शीर्ष अदालत ने कहा कि इस प्रकरण के पक्षकारों को अपीलों पर सुनवाई के लिए अब तैयार रहना चाहिए. न्यायालय ने रजिस्ट्री कार्यालय से भी कहा कि उसे भी दैनिक आधार पर इस मामले की सुनवाई के लिए न्यायालय के अवलोकन के उद्देश्य से सारी सामग्री तैयार रखनी चाहिए.
न्यायालय ने कहा, “हम यह स्पष्ट करते हैं कि इस मामले की सुनवाई दैनिक आधार पर बहस पूरी होने तक चलेगी.”
मध्यस्थता समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हिन्दू और मुस्लिम पक्षकार इस पेचीदगी भरे विवाद का कोई सर्वमान्य समाधान नहीं खोज सके.
पीठ की ओर से मामले की सुनवाई छह अगस्त से करने का आदेश दिए जाने के बाद एक मुस्लिम पक्षकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कई तकनीकी मुद्दे उठाए. उन्होंने कहा कि उन्हें इस मामले से संबंधित तमाम बिन्दुओं पर विस्तार से बहस के लिए 20 दिन की आवश्यकता होगी और सुनवाई के समय इसमें कोई कटौती नहीं होनी चाहिए.
धवन जब इस मामले के विभिन्न पहलुओं पर सुनवाई के बारे में अपनी बात रख रहे थे तभी पीठ ने उनसे कहा, “हमें यह ध्यान नहीं दिलायें कि हमें क्या करना है. हम जानते हैं कि इसके कई पहलू हैं और हम इन सभी पहलुओं पर गौर करेंगे.”