दो साल में बैंकों के डूब सकते हैं 400 अरब रुपये
भारतीय बैंकों की ओर से दिए जाने वाले 400 अरब रुपये लोन डूब सकते हैं. भारतीय रेटिंग और रिसर्च संस्था फिच रेटिंग की ओर से कहा गया है कि अक्टूबर 2018 से सितम्बर 2020 के बीच बैंकों का 400 बिलियन कर्ज गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) में बदल सकती है.
रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय बैंकों के पास कॉरपोरेट का 14 खरब रुपये की गिरवी संपत्ति एनपीए की कगार पर है, जिनमें 3.5 खरब रुपये के बारे में ऋणदाता बैंक को जानकारी नहीं है. बैंक बुक में यह रकम ‘स्टैंडर्ड’ के रूप में दर्ज है.
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च, बैंकिंग एंड फायनांशियल इंस्टीट्यूशन के एसोसिएट डायरेक्टर, जिंदल हारिया कहते हैं, “अक्टूबर, 2018 से दो साल में स्थिति खराब हो सकती है, आधे से अधिक पहचान में नहीं आ पाने वाले और संकट में फंसे संपत्ति एनपीए में शामिल हो सकते हैं.”
भारतीय बैंकिंग सेक्टर पिछले कुछ साल से संघर्ष कर रहे हैं. बैंको का करीब 10731 अरब लोन फंसा हुआ है. जिसकी वजह से बैंकों की उधार देने की क्षमता बुरी तरह से प्रभावित हुई है. इन संपत्तियों के एनपीए में बदलने की संभावना अधिक है.
हालांकि हारिया कहते हैं कि कई सरकारी बैंक वित्त वर्ष 2019-20 में लाभ की स्थिति में होंगे.
चुनाव के साल में यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए राहत की खबर हो सकती है. वह कॉरपोरेट को अधिक से अधिक उधार देने के पक्षधर रहे हैं. आरबीआई ने भी लोन देने को लेकर नरम रुख देने का संकेत दिया है.