पहली बार अंग्रेजी के लेखक अमिताव घोष को ज्ञानपीठ पुरस्कार


amitav ghosh got bharatiya jnanpith award

 

अंग्रेजी के प्रतिष्ठित साहित्यकार अमिताव घोष को 2018 के लिए 54वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया जाएगा. ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाले वो अंग्रेजी के पहले लेखक हैं.

ज्ञानपीठ की तरफ से जारी प्रेस रिलीज़ में बताया गया है कि प्रतिभा रॉय की अध्यक्षता में आयोजित ज्ञानपीठ चयन समिति की बैठक में अंग्रेजी के लेखक अमिताव घोष को साल 2018 के लिए 54वां ज्ञानपीठ पुरस्कार देने का निर्णय लिया गया है.

देश के सर्वोच्च साहित्य सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार के रूप में अमिताव घोष को पुरस्कार स्वरूप 11 लाख रूपये की राशि, वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा.

ज्ञानपीठ के अंतर्गत अंग्रेजी भाषा के साहित्य को तीन साल पहले शामिल किया गया था. इससे पहले यह पुरस्कार सिर्फ भारतीय भाषा के साहित्य में दिया जाता था.

पश्चिम बंगाल के कोलकाता में 1956 को जन्मे अमिताव घोष को लीक से हटकर काम करने वाले रचनाकार के तौर पर जाना जाता है. वह इतिहास के ताने बाने को बड़ी कुशलता के साथ वर्तमान के धागों में पिरोने का हुनर जानते हैं. घोष साहित्य अकादमी और पद्मश्री सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं.

उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘द सर्किल ऑफ रीजन’, ‘दे शेडो लाइन’, ‘द कलकत्ता क्रोमोसोम’, ‘द ग्लास पैलेस’, ‘द हंगरी टाइड’, ‘रिवर ऑफ स्मोक’ और ‘फ्लड ऑफ फायर प्रमुख हैं.

पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरूप को प्रदान किया गया था.


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