भोपाल गैस त्रासदी 20वीं सदी की सबसे बड़ी दुर्घटनाओं में से एक: संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में भोपाल गैस त्रासदी को 20 वीं सदी की सबसे बड़ी दुर्घटनाओं में से एक माना है. इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए कहा है कि हर साल लगभग 27 लाख 80 हजार श्रमिकों की कार्यस्थल दुर्घटनाओं में मौत होती है.
संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट में कहा गया है कि 1984 में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में यूनियन कार्बाइड कीटनाशक संयंत्र से कम से कम 30 टन मिथाइल आइसोसाइनेट गैस लीक हुई और इस हादसे में छह लाख से अधिक श्रमिक और आस-पास रहने वाले लोग प्रभावित हुए.
सरकारी आंकड़ों में अनुमान लगाया गया है कि है कि उस आपदा की वजह से 15,000 लोगों की मौतें हुईं और हजारों जीवित बचे लोगों की अगली पीढ़ियां में विकलांगता समेत कई गंभीर बीमारियां आईं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भोपाल की आपदा साल 1919 के बाद दुनिया की “बड़ी औद्योगिक दुर्घटनाओं” में से एक थी. साल 1919 के बाद रिपोर्ट में शामिल की गई अन्य नौ बड़ी औद्योगिक दुर्घटनाओं में चेर्नोबेल और फुकुशिमा परमाणु आपदाओं के साथ-साथ राणा प्लाजा की इमारत के ढहने की घटना शामिल है .
अप्रैल 1986 में चेर्नोबेल आपदा में यूक्रेन में चेर्नोबेल पावर स्टेशन पर चार परमाणु रिएक्टरों में से एक में धमाका हो गया था. इससे जापान के दो प्रमुख शहरों नागासाकी और हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बमों की तुलना में कम से कम 100 गुना अधिक रेडियोएक्टिव विकिरण निकला था. विस्फोट में 31 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि बाद में इसकी वजह से निकली विकिरण से हजारों लोग मारे गए.