विपक्ष का किसानों से वादा खिलाफी का आरोप, बघेल ने केंद्र को बताया आरोपी
@bhupeshbaghel (Twitter)
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि उनकी सरकार किसानों से किया गया हर वादा पूरा करेगी. छत्तीसगढ़ विधानसभा में सोमवार को शीतकालीन सत्र के पहले दिन धान खरीदी के मुद्दे को लेकर विपक्षी दलों ने हंगामा किया और काम रोककर इस पर चर्चा कराए जाने की मांग की.
राज्य के मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के सदस्यों की मांग पर बाद में विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने इस विषय पर स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कराने की अनुमति दी.
चर्चा का जवाब देते हुए बघेल ने कहा कि किसानों के साथ किया गया हर वादा पूरा किया जाएगा. राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया है कि धान का प्रति क्विंटल 2500 रूपए किसानों के जेब में जाएगा.
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार के बार-बार अनुरोध के बावजूद भारत सरकार इस निर्णय पर अडिग है कि वह छत्तीसगढ़ के किसानों के धान को 2500 रूपए प्रति क्विंटल राशि दिए जाने पर राज्य सरकार को सहयोग नहीं करेगी और राज्य का चावल सेन्ट्रल पूल में नहीं लेगी. इसलिए एक दिसंबर से केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित दर पर धान खरीदी की जाएगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2500 रूपए प्रति क्विंटल किसानों का हक है और इसे देने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है. इस संबंध में 2500 रूपए (अंतर की राशि) किसानों को कैसे दिया जाए इसके लिए एक समिति गठित की गई है जिसमें कृषि मंत्री, वन मंत्री, सहकारिता मंत्री, उच्च शिक्षा मंत्री सम्मिलित होंगे.
समिति के अध्ययन के माध्यम से राज्य सरकार किसानों के जेब में 2500 रूपए पहुंचाने की व्यवस्था करेगी. राज्य सरकार हर हालत में किसानों को प्रति क्विंटल धान का 2500 रूपए देगी तथा छत्तीसगढ़ के किसानों के साथ अन्याय नहीं होगी.
उन्होंने कहा कि किसानों को 2500 रूपए क्विंटल में धान खरीदी की पूरी राशि देने और नियमों को शिथिल कर केन्द्रीय पूल में राज्य का चावल लेने के लिए केन्द्र से लगातार आग्रह करते रहेंगे.
इस महीने की शुरुआत में भूपेश बघेल ने केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात कर कहा था कि इससे पहले रमन सिंह ने नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार से केंद्र ने 2016-17 और 2017-18 में चावल सेन्ट्रल पूल में लिया था. हालांकि केंद्र ने जवाब में राजकोषीय संतुलन का हवाला देते हुए ऐसा करने से इनकार कर दिया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि निर्धारित समर्थन मूल्य कॉमन धान 1815 रूपए और ग्रेड-ए धान 1835 रूपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदी की जाएगी. सरकार अपने वादे के अनुसार किसानों को 2500 रूपए प्रति क्विंटल की दर प्रदान करने के लिए अंतर की राशि की व्यवस्था करने के तरीकों के लिए बनी उपसमिति के सुझाव के अनुसार भुगतान सुनिश्चित करेगी.
चर्चा के दौरान भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया.
विधानसभा में विपक्ष के नेता धरम लाल कौशिक ने कहा कि किसानों से झूठा वादा करके सत्ता में आई सरकार ने किसानों को ठगा है. कांग्रेस ने किसानों को गंगाजल हाथ में लेकर 2500 रूपए में धान खरीदने का लालच दिया और कहा कि आप अपना वोट कांग्रेस सरकार को दें. छत्तीसगढ़ के भोले-भाले किसानों ने कांग्रेस के लालच में आकर अपना वोट कांग्रेस सरकार को दे दिया और कांग्रेस की गलत नीतियों के कारण किसानों को एक हजार से 12 सौ रूपए में प्रति क्विंटल धान बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है.
किसान की अपनी जमा पूंजी भी सरकार के कारण समाप्त हो रही है. सरकार आनलाइन ठगों के समान बन गई है.
कौशिक ने कहा कि छत्तीसगढ़ में लगभग 40 लाख हेक्टेयर में धान की फसल लगाई जाती है. धान की फसल आज की स्थिति में 30 लाख हेक्टेयर में फसली काटी जा चुकी है तथा किसानों के पास मिंजाई के बाद धान रखने की जगह नही है.
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि धान खरीदी पर की गई तैयारी को देखकर संशय हो रहा है कि सरकार एक दिसम्बर से भी धान खरीदेगी या नही.
उन्होंने कहा कि आप केन्द्र सरकार पर दोषारोपण कर रहे है कि 2500 रूपए में धान खरीदे. क्या चुनावी वादा केन्द्र सरकार से पूछकर किया गया था.
कल शीतकालीन सत्र की दौरान विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब में भूपेश बघेल ने पत्रकारों को बताया कि ‘हम धान खरीदना चाहते हैं, पर सरकार धान नहीं खरीदना चाहती है. मैंने विपक्ष के नेताओं से बोला है कि वो प्रधानमंत्री से बात करें कि बीते दो वर्षों में सरकार ने केंद्र के कोष से धान खरीदने में छूट दी थी. मैंने घोषणा की थी कि किसानों को प्रति क्विटंल 2,500 रुपये दिए जाएंगे. पर बीजेपी और भारत सरकार के घमंड के कारण अब हम 1,815 और 1,835 प्रति क्विंटल (केंद्र का एमएसपी) की दर पर धान खरीदेंगे. पर किसानों के साथ न्याय नहीं हुआ. मैंने नेताओं की उप-समिति का गठन किया है, जो ये देखेगी कि कैसे किसानों को 2,500 रुपये दिए जा सकें और अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. हम राज्य में किसानों से साथ अन्याय नहीं होने देंगे.’
इंडियन एक्सप्रेस लिखता है कि कार्यकर्ता केंद्र और राज्य दोनों को दोषी ठहरा रहे हैं क्योंकि उनका कहना है कि इनके बीच नुकसान किसान का हो रहा है. छत्तीसगढ़ बचाओं आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने बताया कि ‘बजट में एमएसपी के लिए अलग हिस्सा नहीं रखा गया. वो क्या कर रहे थे? राज्य के किसानों के साथ हमेशा से ही गलत होता आया है.’