अनुच्छेद 370 को हटाने संबंधी बिल राज्यसभा में पारित


citizenship amendment bill also passed in rajyasabha

 

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान समाप्त करने, जम्मू कश्मीर को विधायिका वाला केंद्र शासित क्षेत्र और लद्दाख को बिना विधायिका वाला केंद्र शासित क्षेत्र बनाने संबंधी सरकार के दो संबंधित विधेयकों को राज्यसभा की मंजूरी मिल गई.

राज्यसभा ने इन मकसद वाले दो सरकारी संकल्पों, जम्मू-कश्मीर आरक्षण (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया. इससे पहले जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक को पारित करने के लिए उच्च सदन में हुए मत विभाजन में संबंधित प्रस्ताव 61 के मुकाबले 125 मतों से मंजूरी दे दी गई.

दोनों संकल्प पारित होने से पहले ही इनका विरोध करते हुए तृणमूल कांग्रेस और जदयू ने सदन से वाकआउट किया. मत विभाजन में राकांपा ने हिस्सा नहीं लिया. वहीं कांग्रेस, राजद, सीपीएम, सीपीआई, डीएमके और सपा ने इस बिल के खिलाफ वोटिंग की.

इससे पहले चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू कश्मीर के ‘‘तीन सियासतदानों के परिवारों’’ के अलावा किसी अन्य का फायदा नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि इसी अनुच्छेद के कारण राज्य में आतंकवाद पनपा और बढ़ा.

शाह ने सदन में आश्वासन दिया कि जम्मू कश्मीर को केन्द्र शासित क्षेत्र बनाने का कदम स्थाई नहीं है और स्थिति समान्य होने पर राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा.

विपक्ष ने राज्य का दर्जा खत्म किए जाने के कदम का काफी विरोध किया था.

गृह मंत्री ने विपक्ष की इन आपत्तियों की चर्चा करते स्पष्ट किया कि जम्मू कश्मीर में ‘‘जैसे ही स्थिति सामान्य होगी और उचित समय आएगा, हम जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा दे देंगे.’’

उन्होंने चर्चा के दौरान कुछ सदस्यों द्वारा अनुच्छेद 370 हटने के बाद राज्य के कोसोवो बनने की आशंकाएं जताये जाने का जिक्र करते हुए उन्हें आश्वस्त किया कि ‘‘यह कोसोवो नहीं बनेगा।’’


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