डॉक्टरों से मारपीट को राजनीतिक रंग दे रही हैं बीजेपी और ममता: PMSF


BJP and Mamata are giving political colors to the doctors: PMSF

 

कोलकाता में डॉक्टरों के साथ पिटाई के बाद देश के कई हिस्सों में चिकित्सकीय सेवाएं ठप पड़ गई हैं. आंदोलनकारी डॉक्टरों ने मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बयान वापस लेने और डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने सहित छह शर्तें रखी हैं. इनमें अस्पतालों के इंफ्रास्ट्रक्चर को ठीक करना भी शामिल है. हालांकि पूरा मुद्दा डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर कानून बनाने तक सीमित होता दिख रहा है.

इस बीच डॉक्टरों के एक संगठन प्रोग्रेसिव मेडिकोस एण्ड साइंटिस्ट फोरम(पीएमएसएफ) ने प्रेस नोट जारी कर मामले के राजनीतिकरण का आरोप लगाया है और ममता बनर्जी सरकार से डॉक्टरों की मांग पर विचार करने की अपील की है.

फोरम का कहना है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के असंवेदनशील रवैये की वजह से स्थिति खराब हुई है. फोरम ने ममता बनर्जी के बयान को हास्यास्पद और मेडिकल पेशे का अपमान बताया है.

जूनियर डॉक्टरों की ‘वाजिब’ मांगों का समर्थन करते हुए फोरम ने कहा है कि इस पूरे मामले में स्पष्ट दिख रहा है कि बीजेपी इससे राजनीतिक फायदा लेने की कोशिश कर रही है.

फोरम ने राजनीतिक दलों की सरकारों पर लोगों का ध्यान वास्तविक समस्या से हटाने का आरोप लगाया है. फोरम का कहना है, “यहां तक कि गृह मंत्री अमित शाह ने डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों पर हमले को लेकर कानून बनाने की बात कही है. चाहे केन्द्र या फिर राज्य में किसी भी पार्टी की सरकार हो उनका हर कदम लोगों का ध्यान वास्तविक कारणों से हटाने का है, जबकि मुख्य वजह प्रताड़ित मरीज और ज्यादा घंटे काम करने वाले डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों का है.”

फोरम ने आरोप लगाया है कि केन्द्र और देश की राज्य सरकारों ने सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को अपनी मौत मरने के लिए छोड़ दिया है.

फोरम का कहना है कि डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की कमी और अस्पतालों के लचर इंफ्रास्ट्रक्चर की वजह से मरीजों की जरूरतों को पूरा करना मुश्किल हो रहा है.

फोरम ने बयान में कहा है, “गरीब मरीजों को भी सार्वजनिक वित्तपोषित स्वास्थ्य बीमा योजना से विश्व स्तरीय प्राइवेट स्वास्थ्य सेवा देने के सपने के बावजूद भारत की बड़ी आबादी के पास सरकारी अस्पतालों के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है.”

प्रेस नोट में कहा गया है कि सब सेंटर, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और कई जिला अस्पताल खत्म होने के कगार पर पहुंच चुके हैं, वहीं बड़े शहरों के सार्वजनिक अस्पताल बढ़े हुए काम की वजह से ठीक से काम नहीं कर पा रहे हैं.

फोरम ने डॉक्टरों से इंफ्रास्ट्रक्चर के मुद्दे को शामिल करने की अपील करते हुए कहा है, “जरूरत के हिसाब से इंफ्रास्ट्रक्चर का नहीं होना, डॉक्टर और नर्स सहित मेडिकल स्टाफों की कमी, दवाओं और अन्य चीजों की कमी की वजह से आम मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है वहीं मेडिकल स्टाफ को मरीजों की जरूरतों को पूरा करने में भारी तनाव से गुजरना पड़ता है.”


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