ब्रेग्जिट : पीएम टेरीजा मे और संसद के बीच टकराव तेज, 11 को वोटिंग
दूसरे विश्व युद्ध के बाद छाई मंदी से निपटने के लिए 1951 में बनी यूरोपीय यूनियन से ब्रेग्जिट समझौते के तहत ब्रिटेन के अलग होने पर मुहर लग सकती है. लेकिन इन सबके बीच ब्रिटेन की संसद और प्रधानमंत्री टेरीजा मे के बीच तकरार काफी तेज हो गई है. संसद यूनियन से अलग होने के प्रधानमंत्री के फैसले को मानना नहीं चाहती है.
26 नवंबर को बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में हुई यूनियन के 27 देशों की बैठक में इसकी मंजूरी भी मिल गई है.
पिछले दो साल से चल रहे इस मामले पर ब्रिटेन की संसद का रुख टेरीजा मे के खिलाफ नजर आ रहा है. इस दौरान ऐसा लग रहा था कि कोई समझौता नहीं होगा. बढ़ रहे विवाद के बीच ब्रेग्जिट मंत्री डोमिनिक राब ने इस्तीफा दे दिया था.
वहीं टेरीजा मे यह कहती नजर आ रही है कि इस मसले पर संसद के पास कोई खास विकल्प नहीं है. उनके मुताबिक यह समझौता देश हित में लिया जा रहा है जिसका फैसला जनता ने जनमत संग्रह में 2016 में लिया था. वो इस सिलसिले में अपने फैसले को मजबूती देने के लिए करीबन 100 बड़े बिजनेसमैन से संपर्क में है.
मे ने कहा कि इस मामले पर मतदान 11 दिसंबर को होना है. संसद में इस समझौते पर मतदान को लेकर लेबर पार्टी के अध्यक्ष जेरेमी कोरबी ब्रिटेन का मानना है कि यह राष्ट्र को क्षति पहुंचाने जैसा है. कोरबी ने एक अध्ययन का हवाला देते हुए कहा है कि इस फैसले ले आर्थिक वृद्धि में चार फीसदी की गिरावट आ सकती है.
नेशनल इंस्टिच्यूट ऑफ इकोनोमिक्स एंड सोशल रिसर्च का मानना है कि सेवा क्षेत्र में ब्रिटेन और यूनियन के बीच का व्यापार महंगा हो सकता है. इससे लोगों की जीवन शैली प्रभावित होगी. जीडीपी में भी चार फीसदी की गिरावट हो सकती है. इससे प्रति व्यक्ति 1000 पाउंड (1000 डॉलर) का नुकसान हो सकता है.
अगर संसद इस समझौते को मान लेती है तो अगले साल 29 मार्च को ब्रिटेन यूरोपीय यूनियन से अलग हो जाएगा.
यूनियन के अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क ने ट्वीट में कहा है कि यूरोपीय यूनियन ब्रेग्जिट समझौता और ब्रिटेन के राजनीतिक घोषणापत्र का समर्थन करती है.