बजट 2019: सैन्य खर्चों के लिए हुए कम आवंटन से सेना में निराशा


budget 2019: defence allocation is less than its liabilities

 

इस वित्त वर्ष के बजट में जिस तरह से सेना को धन का आवंटन किया गया है, वह सुरक्षा चिंताओं को लेकर सरकार की मंशा पर तमाम सवाल खड़े करता है.

इस बजट से सैन्य आधुनिकीकरण के लिए हुए हथियार खरीदारी समझौतों को अंजाम देने को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं. जबकि सेना पहले ही संसाधनों की कमी का सामना कर रही है.

पहचान गुप्त रखने की शर्त पर एक सैन्य सूत्र ने दि हिंदू को बताया, “नेवी और एयर फोर्स के लिए जिस धन का आवंटन हुआ है, उससे इनकी इस साल की देयता पूरी नहीं हो सकती. अंतरिम बजट के बाद इस मामले को रक्षा मंत्रालय के सामने रखा गया था.”

सूत्रों के मुताबिक, “रक्षा मंत्री रहते हुए निर्मला सीतारमण ने इस मुद्दे को वित्त मंत्रालय के सामने रखने का वादा किया था, और पूर्ण बजट में इसका समाधान करने की बात कही थी. लेकिन इस बारे में कुछ नहीं किया गया.”

सेना के लिए हुए बजट आवंटन को लेकर उद्योग जगत भी काफी निराश हुआ है. उद्योग जगत के जानकारों का कहना है कि रक्षा क्षेत्र से कोई ज्यादा उम्मीद नहीं है, इसके बावजूद ये निराशाजनक है.

एक बड़ी कंपनी के अधिकारी ने बताया कि लोगों को इस क्षेत्र में एफडीआई के आसान होने की उम्मीद थी, लेकिन इस पर कोई चर्चा ही नहीं हुई

अगर भारतीय वायु सेना की बात करें तो इसने बीते कुछ सालों में बड़े रक्षा सौदों पर हस्ताक्षर किए हैं. इसमें 36 रफायल जेट, एस-400 रक्षा प्रणाली, सीएच-47एफ चिनूक, एच-64 अपाचे हमलावर हेलीकॉप्टर शामिल हैं. इनकी सम्मिलित देयता करीब 47,400 करोड़ है. जबकि इसके विपरीत इसके लिए सिर्फ 39,300 करोड़ का आवंटन किया गया है.

इसी तरह भारतीय नव सेना की कुल देयता 25,461 करोड़ है, जबकि उसके हिस्से में सिर्फ 22,227 करोड़ रुपये की पूंजी आई है.

नेवी के आधुनिकीकरण के लिए बड़े सौदे होने हैं. इनमें अमेरिका से 24 एमएच-60 आर मल्टी रोल हेलीकॉप्टर खरीदे जाने हैं. इनकी कीमत 2.6 बिलियन डॉलर यानी कि करीब 260 करोड़ रुपये हैं. इस सौदे को साल के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है.

इसी तरह पी-8आई लंबी दूरी के 10 गश्ती हेलीकॉप्टर और खरीदे जाने का प्रस्ताव है, जिसे रक्षा अधिग्रहण परिषद से मंजूरी मिलनी है. इनकी संभावित कीमत करीब 300 करोड़ रुपये है.

अब अगर इस लागत की गणना करें तो एक बात साफ हो रही है कि वायु सेना और नेवी दोनों के पास नए सौदे करने के लिए कोई पैसा नहीं बचेगा. इतना ही नहीं, इतना धन तो पुराने सौदों को पूरा करने के लिए भी कम पड़ सकता है.

भारतीय सेना दुनिया की बड़ी सेनाओं में से एक है, इसके आवंटन का एक बड़ा हिस्सा इसके कर्मचारियों के वेतन में चला जाता है. आगामी साल के लिए सेना के सामने करीब 12,000 करोड़ रुपये की कमी पड़ने वाली है.

इस दौरान सैन्य सेवाओं के लिए सिर्फ एक राहत की बात हुई है. इसमें देश से बाहर से मंगाए जाने वाली सामान पर इसे सीमा शुल्क में छूट दी जाएगी. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक सेना को इससे पांच साल के दौरान करीब 25,000 करोड़ रुपयों की बचत होगी.


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