CAB का विरोध: असम में मुख्यमंत्री आवास पर पथराव, केंद्रीय मंत्री के घर पर हमला


citizenship amendment bill indefinite curfew in guwahati

 

प्रदर्शनकारियों ने असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल के डिब्रूगढ़ स्थित घर पर पथराव किया. इसके अलावा असम के ही दुलियाजन में प्रदर्शनकारियों ने केंद्रीय मंत्री रामेश्वर तेली के घर पर हमला किया और संपत्तियों को क्षतिग्रस्त कर दिया. इस बीच कांग्रेस पार्टी ने 12 दिसंबर को त्रिपुरा में बंद का आह्वान किया है.

सेना के पीआरओ लेफ्टिनेंट पी खोंगसाई ने बताया कि गुवाहाटी में सेना की दो टुकड़ियों को तैनात किया गया है और वे फ्लैग मार्च कर रहे हैं.

नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) को संसद द्वारा मंजूरी प्रदान किए जाने के बीच इसे लेकर जारी विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर असम के गुवाहाटी और डिब्रूगढ़ में बुधवार को अनिश्चिकाल के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया. असम के गुवाहाटी और जोरहाट में सेना को बुला लिया गया है, जबकि त्रिपुरा में असम राइफल्स के जवानों को तैनात किया गया है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

तिनसुकिया से अधिकारियों के हवाले से प्राप्त खबरों के अनुसार जिले में सेना तैनात की गई है और वे फ्लैग मार्च कर रहे हैं.

इससे पहले एक रक्षा प्रवक्ता ने शिलांग में कहा था कि त्रिपुरा में सेना की दो टुकड़ियां तैनात की गई है.

आज देर शाम आये स्पष्टीकरण में कहा गया है कि असम राइफल्स के जवानों को त्रिपुरा में सेवा में लगाया गया है.

नागरिकता संशोधन विधेयक राज्यसभा में भी पारित

राज्य सरकार के अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि शांति भंग करने के लिए सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने और कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बनाये रखने के लिए इंटरनेट सेवाओं को स्थगित रखा जायेगा.

अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह और राजनीतिक विभाग) कुमार संजय कृष्णा द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार लखीमपुर, धेमाजी, तिनसुकिया, डिब्रूगढ़, चराइदेव, शिवसागर, जोरहाट, गोलाघाट, कामरूप (मेट्रो) और कामरूप में इंटरनेट सेवाएं बंद रहेंगी.

शरारती तत्वों के शांति को भंग करने के प्रयासों को विफल करने के लिए पूरे त्रिपुरा राज्य में भी 10 दिसंबर को अपराह्र दो बजे से 48 घंटे के लिए इंटरनेट सेवाएं पहले से ही बंद हैं.

त्रिपुरा में इंटरनेट सेवाएं 11 दिसंबर को दूसरे दिन भी बंद रहीं. अधिकारियों ने बताया कि इंटरनेट सेवाएं 12 दिसंबर तक बंद रहेंगी.

उन्होंने बताया कि ट्रेन और बस सेवाएं भी रोक दी गई हैं.

हालांकि त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने अगरतला में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राज्य के किसी भी स्थान पर सेना तैनात नहीं की गई है.

उन्होंने बताया कि असम राइफल्स की टुकड़ियों को हिंसाग्रस्त धलाई जिले में तैनात रखा गया है जबकि कुछ अन्य स्थानों पर बीएसएफ और सीआरपीएफ के जवान सुरक्षा में तैनात हैं.

नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी आज असम की सड़कों पर उतरे. प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ झड़प हुई और इससे राज्य में अराजकता की स्थिति पैदा हो गई है.

हालांकि किसी पार्टी या छात्र संगठन ने बंद का आह्वान नहीं किया है. प्रदर्शनकारियों में ज्यादातर छात्र शामिल हैं जिनकी सुरक्षा बलों के साथ झड़प हुई.

पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया.

कुछ छात्र नेताओं ने दावा किया कि सचिवालय के सामने पुलिस कार्रवाई में कई प्रदर्शनकारी घायल हो गये.

गैर आधिकारिक रिपोर्टों के अनुसार गुवाहाटी और डिब्रूगढ़ तथा जोरहाट जैसे अन्य स्थानों पर कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है.

इसी तरह की घटनाएं त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से भी सामने आई है.

प्रदर्शनकारियों ने गुवाहाटी और राजधानी दिसपुर में टायर जलाकर लगभग हर सड़क को अवरूद्ध कर दिया जिससे कार्यालय जाने वाले लोग फंस गये.

पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के एक प्रवक्ता ने बताया कि डिब्रूगढ़ में रेलवे स्टेशन छबुआ में प्रदर्शनकारियों ने देर रात आग लगा दी. इसके अलावा तिनसुकिया जिले में पानीटोला रेलवे स्टेशन पर भी आगजनी की गई.

कैब विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर पूर्वोत्तर की कई ट्रेनें रद्द

कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) के अखिल गोगोई ने इस विवादास्पद विधेयक के खिलाफ ‘हड़ताल’ का आह्वान किया है.

गुवाहाटी और डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालयों ने सभी परीक्षाओं को 14 दिसम्बर तक के लिए स्थगित कर दिया.

डिब्रूगढ़ में प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ झड़प हो गई जहां प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े गये. डिब्रूगढ़ में पथराव की घटना में एक पत्रकार के घायल होने की खबर है.

एनएफ रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सुभान चंदा ने एक बयान में कहा, ”कम से कम 31 रेलगाड़ियों को या तो रद्द कर दिया या उनकी यात्रा गंतव्य से पहले ही समाप्त कर दी गई.”

नागरिकता संशोधन विधेयक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थी – हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है.


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