कांग्रेस की ‘न्यूनतम आय गारंटी योजना’ के मायने


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लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस पार्टी ने गरीबी उन्मूलन के लिए 12,000 रुपये न्यूनतम आय गारंटी की घोषणा की है. 25 मार्च को की गई घोषणा पिछले सभी न्यूनतम आय गारंटी से ज्यादा है. कांग्रेस पार्टी का मानना है कि किसी भी परिवार को गरीबी से निकालने के लिए इतनी मासिक आय जरूरी है.

जानकारी के अनुसार न्यूनतम आय से कम मासिक आय वाले परिवारों को आय-वितरण पैमाने के हिसाब से आय हस्तांतरण की जाएगी.

न्यूनतम आय गारंटी कार्यक्रम देश के सबसे गरीब 20 फीसदी परिवारों को 6,000 रुपये प्रति माह मुहैय्या कराएगा. यह माना जा रहा है कि इससे उन्हें न्यूनतम 12,000 रुपये तक बढ़ने में मदद मिलेगी. देश में सबसे गरीब 20 फीसदी के हिसाब से 25 करोड़ लोग और पांच करोड़ परिवार हैं.

पार्टी के आंतरिक अनुमान के मुताबिक ये सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी परिवार की मासिक आय 12000 से कम ना हो.

अब तक गरीबी के दो व्यापक आधिकारिक अनुमान हैं. पहला, 2009 में सुरेश तेंदुलकर समिति और दूसरा 2012 का रंगराजन समिति की सिफारिशों के अंतर्गत सामने आया.

सुरेश तेंदुलकर समिति की सिफारिश को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. समिति ने गांव के गरीबों के लिए न्यूनतम आय 4,050 रुपये और शहरी गरीबों के लिए 4,950 रुपये तय की थी.

न्यूनतम आय पर दोबारा विचार के लिए 2012 में रंगराजन समिति का गठन हुआ था. कांग्रेस ने जितने परिवारों को न्यूनतम आय देने की बात की है, वह रंगराजन समिति के गरीबी आंकड़ों के अनुमान के करीब है.

रंगराजन समिति की रिपोर्ट के अनुसार देश की आबादी का लगभग 29.5 फीसदी (26 करोड़) लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं. समिति ने गांव में रहने वाले गरीबों के लिए 4,800 रुपये की मासिक आय और शहरी गरीबों के लिए 7,050 रुपये की मासिक आय की सिफारिश की थी.

सरकार गरीबी-विरोधी कार्यक्रम बनाते समय गरीबी रेखा की जगह सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी) का उपयोग करती है. विशेषज्ञों का मानना है कि घरेलू आय को निर्धारित करना मुश्किल होगा. नीति निर्धारक आय डेटा के लिए एक प्रॉक्सी के रूप में घरेलू खर्च का उपयोग करते हैं.

अर्थशास्त्री अमिताभ कुंडू का कहना है कि राष्ट्रीय स्तर पर घरेलू आय डेटा मौजूद नहीं है. इस तरह के आंकड़े राज्य सांख्यिकीय ब्यूरो से संकलित राज्य स्तर पर मौजूद हैं, जिन्हें केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय को देखना चाहिए. उन्होंने कहा है कि लोग अपनी आय को कम करके बताते हैं.

कांग्रेस के डेटा एनालिटिक्स विभाग के चेयरपर्सन प्रवीण चक्रवर्ती ने कहा,”आय के आंकड़े उपलब्ध हैं. हमें आय वितरण की समझ है. आपको कैसे लगता है कि असमानता के आंकड़े सामने आए हैं? उदाहरण के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की निगरानी के लिए केंद्र है. बेशक एसईसीसी भी है. कोई आधिकारिक आय डेटा नहीं है. इसलिए मैं गरीबी को खत्म करने के अंतिम मिशन पर नहीं चल सकता.”

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दावा किया है कि कार्यक्रम के लिए भारत के राजकोष में पर्याप्त जगह है. फिर भी इस मुद्दे पर पर्याप्त बातचीत होगी. सरकार के खर्च और उधार को राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम,2003 के अनुसार संचालित किया जाता है.

उधर सरकार की ओर से कांग्रेस के इस कदम की आलोचना की गई है. केंद्र सरकार ने इसे सिर्फ चुनावी घोषणा करार दिया है.

भारतीय सांख्यिकी संस्थान के अर्थशास्त्री गुरबचन सिंह के मुताबिक 2019-20 की कीमतों पर जीडीपी का 1.5 फीसदी एक वर्ष में लगभग 2.82 लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है. यह मोटे तौर पर अर्थशास्त्रियों जोश फेलमैन, बोबन पॉल, एमआर शरण और अरविंद सुब्रमण्यन (जीडीपी का 1.3फीसदी) के आय-हस्तांतरण योजना के नए अनुमानों के अनुरूप है.

गुरबचन सिंह ने बताया कि उनके मुताबिक ऐसा करना संभव है. अगर कांग्रेस ऐसा करना चाहती है तो इसके लिए वेल्थ टैक्स या विरासत में मिले धन पर कर लगाकार ऐसा किया जा सकता है.


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