गोवा में नहीं बनेगा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा


review petition filed in ayodhya verdict

 

गोवा में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरणीय अनुमति देने से इनकार कर दिया है. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा है कि हर सरकारी संस्थान को पर्यावरणीय नियमों को लागू करने का प्रयास करते रहना चाहिए. कानून के शासन का पहला दायित्व पर्यावरण को बचाना है.

कोर्ट ने कहा है कि पर्यावरण शोषण के खिलाफ कदम उठाने से व्यापक रूप से कानून के शासन को मजबूती मिलेगी. इससे टिकाऊ आर्थिक और सामाजिक विकास को मदद मिलेगी. साथ-साथ जन  स्वास्थ को भी बचाया जा सकेगा. पर्यावरणीय नियमों को लागू कर आपसी टकराव और  नतीजतन  मानव और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा हो पाती है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पर्यावरणीय नियमों को लागू करने के लिए पारदर्शिता जरूरी है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि कानून के शासन को बरकरार रखने के लिए प्रभावशाली, पारदर्शी और उत्तरदायी संस्थानों की आवश्कयता है.

राज्य सरकार ने कोर्ट में कहा था कि नया हवाई अड्डा यहां यांत्रियों की बढ़ती हुई संख्या से निपटने के लिए जरूरी है. इसी संबंध में उन्होंने कोर्ट से गुजारिश की थी कि पर्यावरण प्रभाव आंकलन (ईआईए) प्रणाली में पाई गई खामियों को कोर्ट नजरअंदाज करे. उन्होंने कहा था कि नए हवाईअड्डे का निर्माण एक नीतिगत जरुरत है, लिहाजा कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप न करे.

कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज करते हुए कहा कि सरकार के लिए निर्धारित पर्यावरणीय प्रक्रियाओं का पालन करना आवश्यक है. पर्यावरणीय नियमों का संबंध व्यापक रूप से कानून के शासन और आर्थिक तथा सामाजिक विकास से है.


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