दो साल के कार्यकाल से पहले तबादला नहीं हो सकता : आलोक वर्मा


supreme court to hear alok verma plea on 5th december

  PTI

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक आलोक कुमार वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी है कि उनके दो साल के कार्यकाल से पहले इसमें बदलाव नहीं किए जा सकते. उन्होंने कहा कि उनका तबादला भी नहीं किया जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल आलोक वर्मा को राहत नहीं मिली है. उनकी याचिका पर उच्चतम न्यायालय 5 दिसंबर को दोबारा सुनवाई करेगा.

सीबीआई के निदेशक आलोक कुमार वर्मा ने सरकार के फैसले के बाद लंबी छूट्टी पर भेजे जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के एम जोसफ की बेंच के से सामने वरिष्ठ अधिवक्ता फली नरीमन ने आलोक वर्मा का पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि आलोक वर्मा की नियुक्ति 1 फरवरी, 2017 को हुई थी ‘‘कानून के अनुसार उनका दो साल का निश्चित कार्यकाल होगा और इससे पहले उनका तबादला तक नहीं किया जा सकता.’’

उन्होंने कहा कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के पास आलोक वर्मा को अवकाश पर भेजने की सिफारिश करने का आदेश देने का कोई आधार नहीं था.

नरीमन ने कहा, ‘‘विनीत नारायण फैसले की सख्ती से व्याख्या करनी होगी. यह तबादला नहीं है और वर्मा को उनके अधिकारों तथा कर्तव्यों से वंचित किया गया है.’’

सुप्रीम कोर्ट ने देश में उच्चस्तरीय लोक सेवकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच से संबंधित मामले में 1997 में ‘विनीत नारायण फैसला’ सुनाया था.

यह फैसला आने से पहले जांच ब्यूरो के निदेशक का कार्यकाल निर्धारित नहीं था और उन्हें सरकार किसी भी तरह से पद से हटा सकती थी. परंतु विनीत नारायण प्रकरण में शीर्ष अदालत ने जांच एजेंसी के निदेशक का न्यूनतम कार्यकाल दो साल निर्धारित किया ताकि वह स्वतंत्र रूप से काम कर सकें.

नरीमन ने जांच ब्यूरो के निदेशक की नियुक्ति और पद से हटाने की सेवा शर्तों और दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान कानून 1946 के संबंधित प्रावधानों का जिक्र किया.

इससे पहले, सुनवाई शुरू होते ही नरीमन ने कहा कि न्यायालय किसी भी याचिका के विवरण के प्रकाशन पर प्रतिबंध नहीं लगा सकता क्योंकि संविधान का अनुच्छेद इस संबंध में सर्वोपरि है. उन्होंने इस संबंध में शीर्ष अदालत के 2012 के फैसले का भी हवाला दिया.

बेंच ने सीवीसी के निष्कर्षों पर आलोक वर्मा का जवाब कथित रूप से मीडिया में लीक होने पर 20 नवंबर को गहरी नाराजगी व्यक्त की थी. न्यायालय ने जांच ब्यूरो के उपमहानिरीक्षक मनीष कुमार सिन्हा के अलग से दायर आवेदन का विवरण भी प्रकाशित होने पर नाराजगी व्यक्त की थी.

उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई से आलोक वर्मा को निदेशक के अधिकार से वंचित करने के बाद किए गए सभी तबादलों का रिकार्ड रखने को कहा है.


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