ट्रेड यूनियनों की मांग: न्यूनतम वेतन 20,000 और 200 दिनों का काम
आम बजट से पहले किसान प्रतिनिधियों के बाद अब ट्रेड यूनियनों ने भी सरकार के सामने अपनी मांगे रखी हैं. ट्रेड यूनियन ने मांग की है कि न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि की जाए, साथ ही कामगारों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जाए.
ट्रेड यूनियन के प्रतिनिधियों ने बजट से पहले वित्त और कॉर्पोरेट मामले (राज्य मंत्री) अनुराग ठाकुर से मुलाकात की. इस दौरान इन प्रतिनिधियों ने आगामी बजट में कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखने की मांग की.
इन प्रतिनिधियों ने सरकार से मांग की है कि न्यूनतम वेतन को 20,000 किया जाए और मनरेगा के अंतर्गत कम से कम 200 दिन का काम सुनिश्चित किया जाए. इसके अलावा इन्होंने कम से कम 6000 रुपये पेंशन की मांग भी सरकार के सामने रखी.
यूनियन ने वेतनधारकों और पेंशन पा रहे लोगों को टैक्स रियायत देने की मांग भी की है. इसके लिए टैक्स छूट को बढ़ाकर 10 लाख प्रति साल करने की मांग की गई है.
इसके अलावा वरिष्ठ जनों के लिए टैक्स स्लैब बढ़ाकर आठ लाख करने और भत्तों सहित कई अन्य लाभों को टैक्स छूट में शामिल करने की गुजारिश की गई है.
इस बैठक के दौरान इन लोगों ने लाभ में चल रही सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के निजीकरण और विनिवेश को लेकर चिंता जताई. साथ ही नौकरियों के निर्माण के लिए निवेश बढ़ाने को लेकर भी बात हुई.
इस बैठक को लेकर वित्त मंत्रालय की ओर से जानकारी दी गई. वित्त मंत्रालय ने कहा, “निम्नतम आय सुनिश्चित करने, सामाजिक सुरक्षा के लिए मूलभूत जरूरतों जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा और खाद्य सुरक्षा पर बात हुई. सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में विनिवेश रोकने, मनरेगा के विस्तार और काम के दिनों की संख्या में वृद्धि और असंगठित मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय निधि का गठन करने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई.”
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी) के महासचिव अमरजीत कौर ने कहा, “हम 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियन समूहों ने अपनी सभी बातों को रखा. जिनमें काम के दिनों को 200 दिन करना, न्यूनतम वेतन 20000 करना, मासिक पेंशन कम से कम 6,000 करना जैसी मांगे शामिल हैं.”