केंद्र सरकार की ‘आयुष्मान भारत’ योजना से अलग हुईं ममता बनर्जी


mamata banerjee says, will not allow bengal to convert in gujarat

 

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाते हुए स्वयं को केंद्र सरकार की ‘आयुष्मान भारत’ योजना से अलग कर लिया है.

ममता बनर्जी ने बीती 10 जनवरी को एक कार्यक्रम के दौरान ऐलान किया कि पश्चिम बंगाल में अब आयुष्मान भारत योजना को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा. ममता ने केंद्र सरकार पर स्वास्थ्य योजना का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र की मोदी सरकार राज्य के योगदान की अनदेखी कर स्वास्थ्य योजनाओं का सारा श्रेय खुद ले रही है.

ममता बनर्जी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डाक घर के माध्यम से पश्चिम बंगाल के लोगों को पत्र भेज कर ‘जन आरोग्य योजना’ की जानकारी दे रहे हैं, जिसमें बीजेपी पार्टी चिन्ह ‘कमल’ के साथ-साथ उनकी तस्वीर लगी हुई है.

ममता ने कहा के ‘आयुष्मान भारत’ योजना के तहत योजना को चलाने के लिए 60 फीसदी राशि केंद्र सरकार देती है और 40 फीसदी राशि राज्य सरकारें देती हैं,लेकिन मोदी सरकार पश्चिम बंगाल के योगदान को पूर्णरूप से अनदेखा कर इस योजना का पूरा श्रेय खुद ले रही है.

ममता ने मोदी सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि केंद्र सरकार इस स्वास्थ्य योजना की जानकारी के नाम पर हर घर में अपनी तस्वीरों को लगाकर पत्र भेज रही है और योजना का सारा श्रेय लेने के लिए बड़े-बड़े वायदे कर रही हैं.

ऐसी स्थिति में, राज्य सरकार इसका 40 प्रतिशत का खर्च क्यों वहन करे? बल्कि श्रेय लेने वाली एनडीए सरकार को ही इसकी पूरी जिम्मेदारी उठानी चाहिए.

ममता यही नहीं रुकीं. उन्होंने केंद्र सरकार पर किसानों को फसल बीमा के फायदों को लेकर भी ‘झूठे दावे’ करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि फसल बीमा योजना में राज्य सरकार 80 प्रतिशत का व्यय वहन कर रही है और केंद्र इसका सिर्फ 20 फीसदी ही देती है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी उसका भी सारा श्रेय खुद ही लेने में लगे हैं.

अपने भाषण के दौरान ममता ने केंद्र सरकार को “सबसे खराब सरकार” का तमगा भी दे डाला. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार “अत्याचारी शासन” का एक उदाहरण स्थापित कर रही है और देश के तमाम राज्यों में समानांतर सरकार चलाने का प्रयास कर रही है जो के देश की जनता को धोखा देने जैसा है.

आयुष्मान भारत योजना क्या है?

आयुष्मान भारत योजना या राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना भारत सरकार की एक प्रस्तावित योजना है, जिसे 23 सितंबर, 2018 को पूरे भारत में लागू किया गया था. इस योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर लोगों (बीपीएल धारक) को स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराना है. इसके अन्तर्गत आने वाले 10 करोड़ गरीब और कमजोर परिवारों को 5 लाख तक का कैशरहित स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराया जाता है. इस योजना के तहत, 60 प्रतिशत खर्च केंद्र और 40 फीसदी व्यय राज्य वहन करता है.


Big News