छत्तीसगढ़ : 23,000 आदिवासियों पर दर्ज मामलों की समीक्षा के लिए कमिटी गठित


In Kozhikode, Kerala, the police have arrested EK Usman in an alleged triple talaq case

 

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 23,000 आदिवासियों के खिलाफ दर्ज मामले की समीक्षा के लिए कमिटी गठित की गई है. कमिटी 30 अक्टूबर से ऐसे सभी मामलों की समीक्षा शुरू कर देगी. राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद कमिटी गठित करने की घोषणा की गई थी. 13 मई 2019 को कमिटी किस तरह से जांच करेगी इसे तय किया गया था.

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि कमिटी तय मानकों के आधार पर दोबारा विचार करने या वापस लेने योग्य मामलों को लेकर सरकार को सुझाव देगी.

कमिटी सात जिलों के 1,141 मामलों में शामिल 4,007 आरोपियों की समीक्षा करेगी जो अनुसूचित जनजाति से हैं. इनमें 340 मामलों में 1,552 आदिवासियों पर नक्सली होने का आरोप है. राज्य में सबसे ज्यादा सुकमा जिले में नक्सल के आरोपी हैं. जबकि बस्तर जिले में सबसे ज्यादा नक्सल मामलों में जेल में बंद हैं.

कमिटी की पहली बैठक रायपुर में 30 और 31 अक्टूबर को होने वाली है. इसमें सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत जज जस्टिस एके पटनायक भाग लेंगे. इसके साथ ही विभिन्न मामलों में आरोपी बनाए गए 16,475 आदिवासियों के मामले पर विचार शुरू होगा. इसके साथ ही कमिटी 6, 743 विचाराधीन कैदियों के मामलों की समीक्षा शुरू करेगी. ये मामले मुख्य रूप से बीजापुर, सुकमा और बस्तर जिलों के हैं.

कमिटी उन आरोपियों पर दर्ज मामले खत्म करने का सुझाव दे सकती है जिनके खिलाफ कोई साक्ष्य अबतक नहीं मिल पाया है. इसके साथ ही जिन मामलों में पुलिस कोर्ट में रिपोर्ट जमा नहीं कर पाई है उन मामलों को वापस लेने या सीपीसी की अनुकूल धारा लगाने का सुझाव दे सकती है. हालांकि इसमें अंतिम निर्णय राज्य सरकार को लेना है.

अप्रैल, 2019 तक 6,743 आदिवासी विभिन्न मामलों में जेल में बंद हैं. इनमें 1,039 नक्सल मामले में विचाराधीन कैदी हैं. इसके साथ ही 16,475 आदिवासियों को विभिन्न मामलों में आरोपी बनाया गया है. जिनमें 5,239 केवल नक्सल मामलों में आरोपी हैं.

इनमें बड़ी संख्या ऐसे आदिवासियों की है जो गरीबी या कानूनी मदद नहीं मिल पाने की स्थिति में विभिन्न जेलों में बंद हैं. 25 अप्रैल 2019 तक राज्य की सात जेलों में 1977 आदिवासी विचाराधीन कैदी हैं जिन्होंने अबतक कोर्ट में अपील नहीं की है. जबकि विभिन्न मामलों में दोषी 589 आदिवासियों ने फैसले के खिलाफ अपील नहीं की है.

11 सितंबर को तय किया गया कि कमिटी भारतीय दंड संहिता, राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम और अन्य केंद्रीय अधिनियम के तहत पुलिस के द्वारा दर्ज मामले या कोर्ट में लंबित पड़े मामलों का निरीक्षण करेगी.

इसके साथ ही कमिटी एक्साइज एक्ट और स्थानीय कानूनों को तोड़ने के लंबित मामलों को भी देखेगी.


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