बीजिंग वार्ता में चीन ने भारत से कहा, जम्मू-कश्मीर फैसले के प्रभावों पर है नजर
जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने के एक हफ्ते बाद आज बीजिंग में हुई द्वीपक्षीय वार्ता में चीन ने भारत से कहा कि वो जम्मू-कश्मीर पर फैसले के प्रभावों और इससे बनी परस्थितियों पर करीबी नजर बनाए हुए है.
वहीं वार्ता में भारत ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि दोनों देश इस सहमति पर पहुंचे थे कि द्वीपक्षीय संबंधों में तनाव नहीं होना चाहिए और यह स्थिरता का परिचायक होना चाहिए.
11 अगस्त को यहां पहुंचे जयशंकर ने चीनी उपराष्ट्रपति वांग क्शिान से झोंग्ननहाई में भव्य व बेहद खूबसूरत इम्पीरियल आवासीय परिसर में मुलाकात की, जहां शीर्ष चीनी नेता रहते हैं.
बाद में उन्होंने विदेश मंत्री वांग यी के साथ बैठक की, जिसके बाद एक प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक हुई.
राष्ट्रपति शी चिंनफिंग के भरोसेमंद माने जाने वाले वांग के साथ मुलाकात के दौरान अपनी शुरुआती टिप्पणी में जयशंकर ने कहा, ‘‘हम दो साल पहले अस्ताना में एक आम सहमति पर पहुंचे थे कि ऐसे समय में जब दुनिया में पहले से अधिक अनिश्चितता है, हमारा संबंध स्थिरता का परिचायक होना चाहिए.’’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी के बीच हुई शिखर बैठक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘वुहान शिखर सम्मेलन के बाद मैं यहां आ कर आज बहुत खुश हूं, जहां वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर हमारे नेताओं के बीच आम सहमति और बढ़ी थी.’’
विदेश मंत्री एस जयशंकर चीनी नेतृत्व के साथ वार्ता के लिए तीन दिवसीय दौरे पर 11 अगस्त को बीजिंग पहुंचे. उनकी यात्रा के दौरान इस साल राष्ट्रपति शी के भारत दौरे की तैयारियों को अंतिम रूप देने सहित कई मुद्दों पर बातचीत होगी.
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद जयशंकर चीन का दौरा करने वाले पहले भारतीय मंत्री हैं. यह दौरा ऐसे वक्त में हो रहा है, जब भारत ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करते हुए उसे दो केंद्र शासित क्षेत्रों में बांट दिया है.
हालांकि संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म करने के भारत के फैसले से बहुत पहले उनका दौरा तय हो चुका था.
राजनयिक से विदेश मंत्री बने जयशंकर 2009 से 2013 तक चीन में भारत के राजदूत रहे थे. किसी भारतीय दूत का यह सबसे लंबा कार्यकाल था.
जयशंकर की यात्रा के दौरान चार सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है.
वर्ष 2017 में डोकलाम में 73 दिनों तक चले गतिरोध के बाद मोदी और शी ने पिछले साल वुहान में पहली अनौपचारिक वार्ता कर द्विपक्षीय संबंधों गति दी थी.