भारत से चार गुना ज्यादा सैन्य खर्च करता है चीन


china says making efforts to promote stability along border with india

 

भारत का पड़ोसी देश चीन अपनी सैन्य तैयारियों पर भारत से चार गुना ज्यादा खर्च करता है. ग्लोबल थिंक टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की ओर से जारी ताजा आंकड़ों में यह बात सामने आई है. आंकड़ों के अनुसार, साल 2018 में विश्व का कुल सैन्य खर्च 2.6 फीसदी की बढ़त के साथ 127 लाख करोड़ रुपये रुपए से ज्यादा था.

2018 में सैन्य खर्च के मामले में पांच सबसे बड़े देशों में अमेरीका पहले पायदान पर था. अमेरिका का  कुल सैन्य खर्च 45 लाख करोड़ रुपये है. चीन 17 लाख करोड़ रुपये के साथ दूसरे पायदान पर था.

सऊदी अरब का सैन्य खर्च लगभग 4 लाख 75 हजार करोड़ से ज्यादा था. भारत का सैन्य खर्च लगभग 4 लाख 67 हजार करोड़ रुपये था. वहीं फ्रांस का स्थान 4 लाख 47 हजार करोड़ रुपये सैन्य खर्च के साथ भारत के बाद आता है.

इन पांचों देशों का सैन्य खर्च विश्व के कुल सैन्य खर्च का 60 फीसदी है.

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सैन्य खर्च का एक चौथाई हिस्सा रक्षा पेंशन के लिए है. इसके अलावा दो तिहाई खर्च रोजाना के कामों, जवानों की सैलरी और भारतीय सेना के लगभग 15 लाख जवानों की देख-रेख में  किया जाता है.

सभी सैन्य खर्चों को निकालने के बाद सेना के आधुनिकीकरण और नए सैन्य उपकरण के लिए महज एक चौथाई हिस्सा ही बच पाता है.

रिपोर्ट बताती है कि सैन्य खर्च में चौथे पायदान पर होते हुए और रूस को पीछे छोड़ने के बावजूद भारतीय सशस्त्र बल लगातार कई मोर्चों पर तकनीकी उपकरणों की कमी झेल रहे हैं. इसमें लड़ाकू विमान, पनडुब्बी से लेकर पैदल सेना के बुनियादी हथियार और रात की लड़ाई में उपयोग होने वाले हथियार शामिल हैं.

जानकारों का मानना है कि भारतीय सशस्त्र बलों को अनुपयोगी उपकरणों और अतिरिक्त श्रमशक्ति को हटाने की जरुरत है, ताकि आवश्यक उपकरणों सही संख्या का पता चल सके.

एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, सेना के पास पर्याप्त धन नहीं है. रक्षा क्षेत्र के लिए केंद्र सरकार 32 से 33 फीसदी ही पूंजी आवंटित करती है.

जानकारों के अनुसार, भारत को एक मजबूत रक्षा-औद्योगिक आधार बनाने की भी जरुरत है.

चीन ने लगातार 24वीं बार अपना सैन्य बजट बढ़ाया है. रणनीतिक दृष्टि से देखें तो चीन का मकसद वैश्विक स्तर पर प्रतिद्वंद्वी अमेरीका को टक्कर देने के साथ ही उसके सैन्य हस्तक्षेप को विवादास्पद दक्षिण चीन सागर में रोकना है.

बीते सालों में चीन ने तेजी से सैन्य आधुनिकीकरण किया है. वह दुनिया के पांचवें सबसे बड़े हथियार निर्यातक के रूप में उभर रहा है. इसके उलट वहीं भारतीय सशस्त्र बल में ना तो सुधार किए जा रहे हैं  और ना ही स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है.


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