पीड़िता के बयान की प्रति चिन्मयानंद को देने के हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने चिन्मयानंद को पीड़ित छात्रा के बयान की सत्यापित प्रति मुहैया कराने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है.
हाई कोर्ट ने सात नवंबर को निचली अदालत को आदेश दिया था कि वह पूर्व केंद्रीय मंत्री को महिला के बयान की प्रति मुहैया कराए जिसमें उसने चिन्मयानंद पर दुष्कर्म के आरोप लगाए थे.
हाई कोर्ट के आदेश को छात्रा ने 15 नवंबर को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी. इसपर सुनवाई करते हुए जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस विनीत शरण की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब-तलब किया.
पीठ ने नोटिस का जवाब नौ दिसंबर तक देने का आदेश देते हुए कहा कि मामला आगे के लिए विचाराधीन है और इसलिए तबतक आदेश का क्रियान्वयन स्थगित रहेगा.
छात्रा की ओर से पेश वकील शोभा ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज बयान की प्रमाणित प्रति चिन्मयानंद को देने का आदेश देकर हाई कोर्ट ने गलती की है.
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार को पुलिस महानिरीक्षक के नेतृत्व में विशेष जांच टीम गठित कर छात्रा के आरोपों की जांच करने को कहा था. 21 सितंबर को विशेष जांच टीम ने चिन्मयानंद को गिरफ्तार किया था. छात्रा पर भी फिरौती का मामला दर्ज किया गया है.