सूचना आयुक्तों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने कसी नकेल


SC issues notice to center plea against Transgender act

 

केंद्रीय और राज्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर दिया है. सरकार ने कोर्ट को बताया कि कमिटी ने कुछ नामों को केंद्रीय सूचना आयुक्त पद के लिए शॉर्ट लिस्ट किया है, सरकार जल्द ही इस पर फैसला लेगी.

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसे केंद्रीय सूचना आयुक्त पद के लिए 65 अर्जियां मिली हैं, वहीं सूचना आयोग में चार आयुक्त पद के 280 लोगों ने अप्लाई किया है.

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से सूचना आयुक्त की नियुक्ति प्रकिया को पारदर्शी बनाने के लिए कहा. कोर्ट ने कहा कि आप नियुक्ति प्रकिया के सारे ब्योरे अपनी वेबसाइट पर डाले. किन-किन लोगों ने अप्लाई किया है और सर्च कमिटी ने किन लोगों को शॉर्ट लिस्ट किया है, ये बातें वहां बताई जाएं.

पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात, केरल और कर्नाटक सरकार को निर्देश दिया था कि वे केंद्रीय और राज्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए उठाए गए कदम पर प्रगति रिपोर्ट दाखिल करें.

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर ने आरटीआई कार्यकर्ता अंजली भारद्वाज की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इन राज्यों को एक हफ्ते के भीतर ये भी बताने के लिए कहा कि इन खाली पदों को किस तरह भरा जाएगा.

याचिकाकर्ता अंजली भारद्वाज की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट को बताया कि किस तरह से इन राज्यों में सूचना आयुक्तों के पद खाली हैं और सरकारें खाली पदों को भर नहीं रही है. भूषण के मुताबिक इस समय केंद्रीय सूचना आयोग में सिर्फ तीन आयुक्त काम कर रहे हैं, जबकि आठ पद खाली है. इसमें से मुख्य आयुक्त का पद भी खाली है. इतना ही नहीं राज्य सूचना आयोगों में भी काफी पद खाली हैं.

सूचना का अधिकार कानून के तहत सूचना आयोग मांगी गई सूचनाओं के मामलों के लिए सबसे बड़ा और आखिरी संस्थान है.

सूचना आयोग के फैसले को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में ही चुनौती दी जा सकती. सबसे पहले आवेदक सरकारी विभाग के लोक सूचना अधिकारी के पास आवेदन करता है. अगर 30 दिनों में वहां से जवाब नहीं मिलता, तो आवेदक प्रथम अपीलीय अधिकारी के पास अपना आवेदन भेजता है.


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