केंद्रीय कैबिनेट ने नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दी


protest against citizenship amendment bill

 

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी. हालांकि कई विपक्षी दल इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं.

इस विधेयक में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से शरणार्थी के तौर पर आए उन गैर-मुसलमानों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है जिन्हें धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा हो.

बताया जा रहा है कि 1955 के नागरिकता अधिनियम को संशोधित करने वाले इस विधेयक को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई .

विपक्षी दल इस विधेयक को बांटने वाला एवं सांप्रदायिक बता रहे हैं. इसे बीजेपी की विचारधारा से जुड़े महत्वपूर्ण आयाम का हिस्सा माना जा रहा है जिसमें शरणार्थी के तौर पर भारत में रहने वाले गैर-मुसलमानों को नागरिकता देने का प्रस्ताव किया गया है. इनमें से ज्यादातर लोग हिंदू हैं.

बैठक के बाद सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि सरकार सभी के हितों और भारत के हितों का ध्यान रखेगी.

कुछ वर्गों द्वारा इसका विरोध किए जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि लोग देश के हित में इसका स्वागत करेंगे.

समझा जाता है कि सरकार इसे अगले दो दिनों में संसद में पेश करेगी और अगले सप्ताह इसे पारित कराने के लिए आगे बढ़ाएगी.

कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों ने इसकी तीखी आलोचना की है.

नागरिकता (संशोधन) विधेयक पर विरोध जताते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा कि इससे संविधान का मूलभूत सिद्धांच कमतर होता है.

थरूर ने कहा, ”मुझे लगता है कि विधेयक असंवैधानिक है क्योंकि विधेयक में भारत के मूलभूत विचार का उल्लंघन किया गया है. वो लोग जो यह मानते हैं कि धर्म के आधार पर राष्ट्र का निर्धारण होना चाहिए…इसी विचार के आधार पर पाकिस्तान का गठन हुआ.”

उन्होंने कहा कि हमने सदैव यह तर्क दिया है कि राष्ट्र का हमारा वह विचार है जो महात्मा गांधी, नेहरूजी, मौलाना आजाद, डा. आंबेडकर ने कहा कि धर्म से राष्ट्र का निर्धारण नहीं हो सकता.


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