नागरिकता अधिनियम संशोधन विधेयक संभवतः 7 जनवरी को संसद में पेश होगा


un rights commissioner expresses grave concern over nrc in india

 

नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 के प्रबंधों की जांच के लिए बनाई गई संयुक्त समिति आगामी सात जनवरी को संभवत: संसद में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी. ये विधेयक भारत के पड़ोसी देशों में सताए गए अल्पसंख्यकों को देश में नागरिकता प्रदान करने से संबंधित है.

इसमें पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश के मुस्लिमों को छोड़कर बाकी छह धर्मों के अल्पसंख्यकों को शामिल किया गया है. इससे पहले बीते सोमवार को पैनल ने विपक्ष के सभी सुधारों को दरकिनार करते हुए रिपोर्ट को हरी झंडी दिखा दी.

पैनल की बैठक में कुल 30 सदस्यों में से बीजेपी के सभी 13 सदस्य मौजूद रहे. लेकिन विपक्ष के केवल छह सदस्य मौजूद थे. इस रिपोर्ट का ड्राफ्ट आगामी तीन जनवरी को जारी किया जाएगा और सात जनवरी को इसे संसद के पटल पर रखा जाएगा.

उधर विपक्ष, संयुक्त समिति को नोटिस देकर अपना विरोध जताने पर विचार कर रहा है.

इस विधेयक में छह समुदायों को अल्पसंख्यक दर्जे में जगह दी गई है. इनमें हिंदू, सिख, पारसी, ईसाई, और बौद्ध शामिल हैं. इस विधेयक में 2014 से पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए लोगों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान किया गया है.

कई पक्षों से इस विधेयक को प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है. इनमें सबसे अधिक विरोध बीजेपी शासित असम राज्य से हो रहा है. असम में ये कहकर इसका विरोध हो रहा है कि सरकार बांग्लादेश से अवैध रूप से आए हिंदुओं को नागरिकता देने का प्रयास कर रही है.

विरोध करने वालों के मुताबिक ये 1985 में हुए असम समझौते का सीधा उल्लंघन है. असम में ताजा एनआरसी रिपोर्ट के प्रकाशित होने के बाद लगभग 40 लाख लोग नागरिकता से वंचित हो गए हैं. फिलहाल एनआरसी की अंतिम सूची में जिनके नाम नहीं हैं उन्हें दावा और आपत्तियां दर्ज कराने का एक और मौका दिया गया है.


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