भारत में प्लास्टिक कूड़े के आयात पर पूरी तरह से पाबंदी


Full ban on imports of solid plastic waste in India

 

भारत ने बाहर के देशों से रिसाइक्लिंग के लिए आने वाले प्लास्टिक कूड़े पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है. इससे पहले भारत में प्लास्टिक कूड़े पर आंशिक रोक लगी हुई थी. यह रोक विशेष आर्थिक क्षेत्र(एसईजेड) के लिए लागू नहीं था.

अब विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) और निर्यात उन्मुखी इकाइयां (ईओयू) भी ठोस प्लास्टिक अपशिष्ट  आयात पर प्रतिबंध के दायरे में आएंगी.

पर्यावरण मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने प्रतिबंध की घोषणा करते हुए कहा, “ खतरनाक और अन्य अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 कानून में एक मार्च को हुए बदलाव के बाद देश में ठोस प्लास्टिक कूड़ा के आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है.”

उन्होंने कहा कि नियमों में यह बदलाव भारत में पैदा होने वाले कूड़े और उसकी रिसाइक्लिंग क्षमता के बीच बड़े अंतर को देखते हुए और साल 2022 तक सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूरी तरह रोक लगाने के लिए किया गया है.

चीन द्वारा प्लास्टिक कूड़े के आयात पर प्रतिबन्ध लगाने के बाद भारत प्लास्टिक कूड़ा आयात करने वाला दुनिया का सबसे बड़ा देश बन गया था. माना जा रहा है कि प्लास्टिक आयात पर लगे आंशिक प्रतिबंध का कुछ संस्थाओं की ओर से दुरुपयोग किया जा रहा था.

केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(सीपीसीबी) के मुताबिक, भारत में 10,376 टन कूड़े को इकट्ठा नहीं किया जाता है. यहां हर साल 25,940 टन कूड़ा निकलता है, जिसमें 40 फीसदी कूड़ा का उठाव भी नहीं हो पाता है.

भारत में प्लास्टिक कूड़े की रिसाइक्लिंग करने की समुचित व्यवस्था नहीं है. अब भी ज्यादातर हानिकारक कूड़े को खुले में ही छोड़ दिया जाता है. ये कूड़ा पानी और भूमि में मिलकर उन्हें प्रदूषित कर रहा है. प्लास्टिक कूड़े और हानिकारक कूड़े की वजह से हर साल लाखों लोग अकेले भारत में मर जाते हैं.

हिल स्टेशन मसूरी में कूड़ा प्रबंधन के लिए हिलदारी कैंपेन चलाया जा रहा है. हिलदारी कैंपेन से जुड़े अरविंद शुक्ला कहते हैं कि कूड़ा प्रबंधन फायदे का सौदा हो सकता है. इसके लिए सरकार को ठोस कदम उठाने के साथ-साथ आम लोगों को भी अपनी आदतों में बदलाव लाने की जरुरत है.

वह कहते हैं, “ज्यादातर कूड़े का दोबारा इस्तेमाल हो सकता है. गीले कूड़े से खाद बनाई जा सकती है और सूखे कूड़े को रिसाइक्लिंग के लिए भेजा जा सकता है. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि कूड़े को घरों से  अलग-अलग करके देने के साथ-साथ उन्हें रिसाइक्लिंग यूनिट तक भेजने की उचित व्यवस्था हो.”

नियमों में बदलाव के बाद व्हाइट कैटगरी(कम प्रदूषण फैलाने वाले) वाले संस्थाओं को अपने यहां उत्पादित हानिकारक कूड़े को रिसाइक्लिंग के लिए अधिकृत संस्थाओं को देना होगा.

एयर कूलर, एयर कंडिशनर, बिस्कुट उद्योग, धातु उद्योग, हैंडलुम और चॉक उद्योग सहित 36 तरह के उद्योगों को व्हाइट कैटगरी में रखा गया है.

नये नियमों के तहत निर्यातित इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक अवयवों में खराबी होने की स्थिति में इन्हें देश में लौटाने के लिए पर्यावरण मंत्रालय से स्वीकृति की जरूरत नहीं होगी.

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि व्यापार सुगमता और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के साथ-साथ सतत विकास और पर्यावरण को न्यूनतम हानि के लक्ष्यों को पूरा करने के उदेश्य से यह बदलाव किया गया है.

पर्यावरण मंत्रालय ने देश में खतरनाक अपशिष्ट के सही तरह से प्रबंधन को मजबूत करने के लिए एक आदेश के जरिए संशोधन किया है.


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