राजस्थान सरकार ने स्कॉलरशिप टेस्ट से दीनदयाल उपाध्याय का नाम हटाया


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राजस्थान सरकार ने 10वीं और 12वीं के लिए मिलने वाली स्कॉलरशिप की परीक्षा से संघ के विचारक दीनदयाल उपाध्याय का नाम हटा दिया है. राज्य सरकार ने यह निर्णय इस आधार पर लिया है कि पिछली बीजेपी सरकार ने यह नाम बेवजह ही परीक्षा के साथ जोड़ दिया था.

राज्य के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा,“पिछली बीजेपी सरकार ने टैलेंट सर्च टेस्ट में दीनदयाल उपाध्याय का नाम बेवजह जोड़ दिया था. इसलिए नाम को हटा दिया गया है.”

यह टेस्ट 10वीं और 12वीं कक्षा के लिए होता है. टेस्ट में पास होने वाले विद्यार्थियों को राजस्थान माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से छात्रवृत्ति दी जाती है.राज्य सरकार के इस कदम के बाद राज्य में बीजेपी के पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने सरकार पर आरोप लगाया है कि बार-बार वे आरएसएस के विचारकों को निशाना बना रही है. देवनानी ने इससे पहले 10वीं की सामाजिक विज्ञान की किताब में विनायक दामोदर सावरकर को ‘पुर्तगाल का बेटा’ बताने पर भी गहलोत सरकार को घेरा था.

देवनानी ने कहा,“कांग्रेस नेताओं के नाम पर देश में कई योजनाओं और कार्यक्रमों के नाम हैं. पंडित दीनदयाल उपाध्याय का नाम टेस्ट से हटाना कांग्रेस की संकीर्ण मानसिकता को दर्शाता है.” उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस तरह के फैसले ले रही है क्योंकि लोकसभा चुनाव के दौरान उसे राजस्थान में अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा है.

देवनानी ने कहा, “पंडित दीनदयाल उपाध्याय देश के महान विभूतियों में से हैं. देश के लिए उनका योगदान भविष्य की पीढ़ियों को प्रभावित करेगा. कांग्रेस सरकार का फैसला बेतुका है. इसकी जरूरत नहीं थी.” देवनानी ने पुस्तक में सावरकर के संदर्भ पर भी सरकार की आलोचना की है.

देवनानी ने कहा,“पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी महान स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर की विरासत को माना था. तब की सरकार ने वीर सावरकर पर 1970 में डाक टिकट जारी कर उनकी देशभक्ति की प्रशंसा की थी.

वहीं इस सभी क़दमों तक कांग्रेस सरकार का तर्क है कि उसने ये फैसले शिक्षाविदों की अनुशंसा पर लिए हैं.


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