अमीरों पर टैक्स बढ़ाना बनाएगा ‘न्यूनतम आय योजना’ को संभव
कांग्रेस की नई योजना ‘न्याय’ को भले ही बीजेपी राजनीतिक जुमला बता रही हो पर हाल ही में सामने आए अध्ययन के बाद ये साफ हो गया है कि ये योजना पूरी तरह से व्यवहारिक है.
कांग्रेस ने न्यूनतम आय गारंटी कार्यक्रम की घोषणा करते हुए कहा कि देश के सबसे गरीब 20 फीसदी परिवारों को 6,000 रुपये प्रति माह मुहैया कराए जाएंगे. देश में 20 फीसदी के हिसाब से सबसे गरीब 25 करोड़ लोग और पांच करोड़ परिवार हैं.
अग्रेंजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब, पेरिस ने अपने अध्ययन में कहा है कि भारत में अमीर वर्ग पर मौजूदा टैक्स को बढ़ाकर ‘न्याय’ योजना को संभव बनाया जा सकता है.
अध्ययन के अनुसार, 72,000 सालना के हिसाब से सरकार को 2 लाख 90 हजार करोड़ रूपये की जरुरत होगी (जीडीपी का 1.3 फीसदी). यदि दो करोड़ 50 लाख से अधिक संपत्ति वाले मालिकों पर 2 फीसदी की दर से टैक्स लगाया जाता है तो इससे 2 लाख 30 हजार करोड़ रूपये (जीडीपी का 1.1 फीसदी) प्राप्त होंगे.
शोधकर्ता नितिन भारती और सह निर्देशक लुकास चांसल ने मिलकर यह अध्ययन किया है. चांसल जाने-माने अर्थशास्त्री थॉमस पिकेटी के साथ लैब की कार्यकारी समिति में शामिल हैं. आधुनिक मार्क्स के नाम से मशहूर पिकेटी आर्थिक विषमता पर किए गए अपने अध्ययनों के लिए जाने जाते हैं.
चांसल और भारती की रिपोर्ट के मुताबिक, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सामाजिक व्यय को बनाए रखते हुए गरीबों को न्यूनतम आय दिए जाने की जरुरत है.
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने योजना बनाने में कांग्रेस की मदद की है, चांसल ने बताया कि उन्होंने सीधे तौर पर कांग्रेस से बात नहीं की है. “हमने इस योजना पर विचार कर अपने सुझाव अभिजीत बनर्जी को दिए थे.” उन्होंने कहा “अभिजीत इस योजना पर कांग्रेस के साथ विचार कर रहे हैं. हम योजना को लेकर सीधे तौर पर कांग्रेस के संपर्क में नहीं हैं.”
अखबार को चांसल ने बताया कि “भारत में प्रोग्रेसिव टैक्स साल 1980 के बाद से लगातार कम हुआ है. कुछ लोगों का मानना है कि प्रोग्रेसिव टैक्स बढ़ाने से विकास कम होता है. पर ये बिल्कुल गलत है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए गए आंकलन के बाद ऐसे कोई तथ्य सामने नहीं आए हैं जो ये साबित करते हों कि प्रोग्रेसिव टैक्स बढ़ाने से विकास दर कम हुई है.”
उन्होंने अपनी बात के समर्थन में उदाहरण देते हुए कहा, “हम यूएस और यूरोप का उदाहरण ले सकते हैं. इन देशों में प्रोग्रेसिव टैक्स लगाने के दौरान उत्पादकता में वृद्धि हुई है. चिंता की बात ये है कि भारत में कुछ सबसे अमीर लोग ही लगातार अमीर हुए हैं. हमें लगता है कि अमीर वर्ग पर प्रोग्रेसिव टैक्स में इजाफा करके राजस्व प्राप्त किया जा सकता है.”
भारती ने योजना पर अपने विचार रखते हुए कहा, “प्रोग्रेसिव टैक्स एक व्यवहारिक समाधान है. हमें लगता है कि मौजूदा सामाजिक क्षेत्र की योजनाएं जरूरी हैं. इनमें कुछ सुधार के बाद ये बेहतर प्रदर्शन करेंगी. पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ी विषमता को कम करने में प्रोग्रेसिव टैक्स अहम साबित हो सकता है.”
वहीं एनडीए सरकार की गरीब समान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण देने की योजना पर अर्थशास्त्रियों ने आशंका जाहिर की है. उनके मुताबिक, “आय के अनुसार फिलहाल 93 फीसदी जनता आरक्षण पाने के योग्य है. और यदि कृषि-भूमि के अनुसार आरक्षण दिया जाता है तो करीब 95 फीसदी आबादी योग्य होगी. इसके अलावा अगर घर के स्वामित्व को आधार बनाया जाता है तो करीब 80 फीसदी आबादी आरक्षण के लिए योग्य होगी.”
अर्थशास्त्रियों ने कहा कि अगर एनडीए सरकार की इस घोषणा पर विचार किया जाए तो ये एक राजनीतिक कदम से ज्यादा कुछ नहीं है, क्योंकि इससे देश में मौजूदा विषमता खत्म करने में मदद नहीं मिलेगी.