प्रधानमंत्री ने नेहरू-लियाकत समझौते को गलत ढंग से पेश किया: कांग्रेस


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कांग्रेस ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में अपने भाषण के दौरान नेहरू-लियाकत करार को गलत ढंग से उद्धृत किया और देश के सामने आधा-अधूरा सच रखा.

पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री को सदन को गुमराह करने के लिए देश से माफी मांगनी चाहिए.

तिवारी ने संसद परिसर में संवाददाताओं से बातचीत में दावा किया, ”यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री जब लोकसभा में बोल रहे थे तो लगा स्टैंडअप कॉमेडी कर रहे हों. उन्होंने आधा-अधूरा सच बोला और सांप्रदायिकता फैलाने का प्रयास किया.”

उन्होंने कहा, ”अफसोस की बात है कि प्रधानमंत्री ने पंडित नेहरू का हवाला संदर्भों से हटकर दिया. उन्होंने नेहरू-लियाकत करार का हवाला दिया लेकिन यह बताना भूल गए कि इसमें धर्म का उल्लेख नहीं किया गया था.”

तिवारी ने कहा, ”उस वक्त अल्पसंख्यकों को लेकर जो चिंता थी तो उसका संदर्भ बंटवारा था. क्या 1947 के हालात 2020 में भी हैं? क्या आज का भारत उस समय जैसा है? क्या प्रधानमंत्री यही कहना चाहते हैं?”

उन्होंने कहा, ”नेहरू-लियाकत करार का गलत ढंग से हवाला देने के लिए प्रधानमंत्री को देश से माफी मांगनी चाहिए.”

तिवारी ने दावा किया, ”पिछले पांच साल में मोदी सरकार ने भारत की तुलना पाकिस्तान से करने का प्रयास किया. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे विशाल देश की तुलना एक ऐसे देश से करने की कोशिश हो रही है जो बनाना रिपब्लिक है.”

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री ने लोकसभा में नेहरू-लियाकत समझौते का जिक्र करते हुए कहा कि उसमें धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव नहीं होने की बात को आधार बनाया गया था जिसकी बात हम कर रहे हैं. कांग्रेस को अब जवाब देना होगा कि नेहरू जैसे दूरदृष्टा, महान विचारक ने तब ‘सारे नागरिक’ शब्द का इस्तेमाल क्यों नहीं किया. तब इतनी उदारता उन्होंने क्यों नहीं दिखाई.


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