अयोध्या फैसला: पुनर्विचार याचिका पर जमीयत में नहीं बनी सहमति, पैनल गठित


consent on review petition in ayodhya case has not been formed in jamiyat

 

देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद में अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने या नहीं करने को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है, जिस वजह से पांच सदस्यीय पैनल बनाया गया है जो इस बारे में अगले एक-दो दिन में कोई अंतिम निर्णय करेगा.

अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष की पैरवी कर चुकी जमीयत की कार्य समिति की 14 नवंबर को हुई मैराथन बैठक में पुनर्विचार याचिका को लेकर कोई सहमति नहीं बन पाई.

बताया जा रहा है कि संगठन के ज्यादातर शीर्ष पदाधिकारियों की राय है कि अब इस मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहिए, लेकिन कुछ पदाधिकारी पुनर्विचार याचिका दायर करने की दिशा में कदम बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं.

सहमति नहीं बन पाने के कारण जमीयत की ओर से पांच सदस्यीय पैनल बनाया गया है जो कानून के जानकारों से विचार-विमर्श करने के बाद इस विषय पर अंतिम फैसला करेगा. इसमें जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी, मौलाना असजद मदनी, मौलाना हबीबुर रहमान कासमी, मौलाना फजलुर रहमान कासमी और वकील एजाज मकबूल शामिल हैं.

मौलाना अरशद मदनी ने 14 नवंबर को कहा था कि अयोध्या मामले पर शीर्ष अदालत का फैसला कानून के कई जानकारों की समझ से बाहर है.

उन्होंने यह भी कहा था कि अयोध्या मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जो पांच एकड़ भूमि मस्जिद के लिए दी है, उसे सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को नहीं लेना चाहिए.

उधर, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड रविवार को एक बैठक करेगा जिसमें यह फैसला होने की उम्मीद है कि इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करनी चाहिए या नहीं.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को सर्वसम्मत फैसले में अयोध्या में विवादित जमीन को रामलला विराजमान को सौंप दिया और केंद्र सरकार को आदेश दिया कि वो मंदिर निर्माण के लिए तीन महीने के भीतर ट्रस्ट दिया. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन देने का निर्देश भी दिया.


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