संविधान वक्त से बंधा दस्तावेज भर नहीं : चीफ जस्टिस


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भारत के चीफ जस्टिस (सीजेआई) रंजन गोगोई ने कहा कि संविधान के सुझावों पर ध्यान देना ‘हमारे सर्वश्रेष्ठ हित’ में है और ऐसा नहीं करने से अराजकता तेजी से बढ़ेगी.

चीफ जस्टिस ने दिल्ली में संविधान दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम के उद्घाटन भाषण में कहा कि संविधान हाशिए पर पड़े लोगों के साथ ही बहुमत के विवेक की भी आवाज है और यह अनिश्चितता और संकट के वक्त में सतत मार्गदर्शक की भूमिका निभाता है.

चीफ जस्टिस ने कहा, ‘‘हमारा संविधान हाशिए पर पड़े लोगों के साथ ही बहुमत के विवेक की आवाज है. इसका विवेक अनिश्चितता तथा संकट के वक्त में हमारा मार्गदर्शन करता है.’’

उन्होंने कहा कि संविधान ‘वक्त से बंधा दस्तावेज भर नहीं है’ और आज जश्न मनाने का नहीं बल्कि संविधान में किए गए वादों की परीक्षा लेने का वक्त है.

जस्टिस गोगोई ने कहा, ‘‘क्या हम भारतीय आजादी, समानता और गरिमा की शर्तों के साथ जी रहे हैं? ये ऐसे प्रश्न हैं जिन्हें मैं खुद से पूछता हूं. नि:संदेह काफी तरक्की हुई है लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. आज हमें सिर्फ जश्न नहीं मनाना चाहिए बल्कि भविष्य के लिए एक खाका तैयार करना चाहिए.’’

26 नवम्बर को हर साल संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है.


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